बारिश…
हरे को और हरा करती , नम को और नम करती, एकांत को और गाढ़ा करती स्मृतियों की धार को...
हरे को और हरा करती , नम को और नम करती, एकांत को और गाढ़ा करती स्मृतियों की धार को...
हमर छत्तीसगढ़ म सांस्कृतिक विविधता के अद्भुत दर्शन होथे. इहाँ कतकों अइसन परब अउ परंपरा हे, जेला कोनो अंचल विशेष...
जैसा कि आजकल देख, सुन और पढ़ रही हूँ अब हमारी प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म होती जा रही है । कोई...
देश में सामंती समाजों के अवशेष बीसवीं शताब्दी तक बने रहें। अब पूरी तरह खत्म हो गए हों ऐसा भी...
नसीरुद्दीन शाह केवल अदाकारी के कारण ही नसीर साहब नहीं बने बल्कि अपने एटिट्यूड के कारण भी यहां तक पहुंचे...
अभी-अभी मैंने हरसिंगार को खिलखिलाते देखा अभी-अभी मैंने एक नदी को अठखेलियाँ करते हुए समंदर की ओर बहकर जाते देखा...
यह एक आलेख, जो कल राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुआ, आज विस्तृत रूप में यहांँ पढ़ा जा सकता है। –...
सावन के बादल घिर रहे हैं घिर रहे हैं अभी घिर ही रहे हैं और हवा की गति बढ़ गई...
नहीं चाहिए नहीं चाहिए किसी को प्रेम! आज की दुनिया जैसी नहीं है रफ़्तार उसकी अलग-थलग पड़ा रहता है कोने...
विमर्श केंद्रित संस्था 'आयाम' का सम्मान 2024 इस वर्ष चर्चित कवि, कथाकार- उपन्यासकार और आलोचक डा.भरत प्रसाद को दिया जाएगा....