April 11, 2025
pitaaa

दृष्टा तुम हो,
सृष्टा तुम हो,
परमपिता आशीष सम,
इस जीवन के,
विश्वास अटल ,
भ्रमित मन के,
निर्मल उजास
जीवन नैया के
खेवनहार ,
बन पतवार,
तूफानों में राह दिखाते….
डूबते का किनारा हो,
मेरे कच्चे से संसार का, सहारा हो,
अटल भाव से भरे हुए,
हिमालय बन,
सजग भाव से,
डटे हुए,
दूर क्षितिज के अंतिम
छोर तक
सृष्टि तुम्हारी,
दृष्टि तुम्हारी
संग चलती है….
एक नवल संसार दिखाती
आपाधापी दौड़भाग में,
जीने की ,
नित रीत सिखाती।

-मधूलिका सक्सेना

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