मेरी नई ग़ज़ल
शह्र में ये कौन है आया हुआ,
कारवां उसका है क्यूं उजड़ा हुआ।
मुझसे वो क्यूं दूर अब रहने लगा,
तन्हा दिल में सहरा है फैला हुआ ।
अब कबूतर के ठिकाने गुम हुए,
वो बसेरा इतना क्यूं उजड़ा हुआ ।
ये सियासतदान अब तो बख्श दें,
मुल्क का मौसम है अब बिगड़ा हुआ ।
तेज़ थी आवाज़ दिल ये टूटा जब,
हर तरफ़ सन्नाटा क्यूं पसरा हुआ।
वो कभी तो अंजुमन में बैठते,
दिल दुखाए कितना तो अरसा हुआ ।
दिलीप ‘ तसव्वुर ‘