November 22, 2024

यु खामोश रह कर
कटता नहीं सफर
तसब्बुर के अन्धेरे में
यूँ भटका न कर
दामन मे काटें भरी है
आँसू से दोस्ती न कर
फरिस्ता यूँ मिलते नहीं
बस मुस्कुरा के चल
यूँ खामोश रह कर
कटता नहीं सफर
रंजिश नहीं गुलशन से
फिर भी गुल नाराज है
मैं तो गुलफाम हूँ
काटों को भी दिल मे समेट लेता हूँ
ख्वाहिश ये रखता हूँ
तहे दिल से तुम्हें चाहने का
यूँ खामोश रह कर
कटता नहीं सफर
चाँद तो रोज निकलता है आसमान में
तेरा दिदार उन में करता हूँ,
आइना भी रुठ कर बैठा है
खामोशी से सर्द हवा चलती है
न जाने क्युँ दिल मे अजान गुन्जती है
खामोश रास्ते खामोश मन्जर
युँ खामोश रह कर
कटता नहीं सफर
तसब्बुर के अन्धेरे मे
यूँ भटका न कर
यूँ खामोश रह कर

रेखा यादव
समाज सेवि
ललितपुर नेपाल

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