November 22, 2024

ग़ज़ल …… ❗1❗

स्वयं के भी विरुद्ध हिन्दी को ,
लड़ना पड़ता है युद्ध हिन्दी को ।

दिल पे इमला लिखो तो पहचानें ,
धड़कनों से भी शुद्ध हिन्दी को ।

हमने देखा है ताण्डव करते ,
ड से डमरू पे क्रुद्ध हिन्दी को ।

और कब तक रखेगी अंग्रेजी ,
दासता में निरुद्ध हिन्दी को ।

कामना है यही रखे मन में ,
बोध मेरा प्रबुद्ध हिन्दी को ।

🌸 🍀🌸

ग़ज़ल …… ❗2❗

माना कि भूख मिट गई भूखे शरीर की
पर प्यास को अभी भी तमन्ना है नीर की

देगा दुआयें कीमती बदले में आपको
झोली में डाल दीजिए आटा फ़क़ीर की

गिरवीं रखा है आपने ईमान के लिए
क्या आपको नहीं है ज़रूरत ज़मीर की

शीशे लगे हैं कार में काले तो क्या हुआ
फिर भी दिखाई देगी हक़ीक़त अमीर की

स्वीकार है चुनौती गणित के उसूल को
लम्बाई मगर नाप के लिखिए लक़ीर की

🌸 🍀 🌸

ग़ज़ल …… ❗3❗

फूलों की सुन्दर सी घाटी हैं बेटियाँ ,
सृष्टि के सृजन की परिपाटी हैं बेटियाँ ।

धरती पे मन की ये इसलिए महकती हैं ,
सौंधी सुगन्ध वाली माटी हैं बेटियाँ ।

बिल्कुल स्वादिष्ट दाल जैसा स्नेह इनका,
शुद्ध घी में डूबी हुई बाटी हैं बेटियाँ ।

गूढ़ता में इनकी समाहित है सिन्धु मगर ,
क़द में तो बूँद से भी नाटी हैं बेटियाँ ।

दृष्टि में पिता की यदि बेटे हैं बॉम्बे तो ,
माँ के दृष्टिकोण में चौपाटी हैं बेटियाँ ।

🌸 🍀 🌸

ग़ज़ल ……❗4❗

सृष्टि का प्रणवाक्षर है लड़कियों की ज़िन्दगी ।
किन्तु कितनी साक्षर है लड़कियों की ज़िन्दग़ी ।।

नापना चाहो तो बालिश्तों से इसको नाप लो ।
क़द में केवल हाथभर है लड़कियों की ज़िन्दगी ।।

ज़िन्दगी भर की रज़ामंदी का अपनी उम्र पे ।
एक लघु हस्ताक्षर है लड़कियों की ज़िन्दगी ।।

व्यक्त करती है सदा ये स्वयं के अनुपात को ।
अंश के नीचे का हर है लड़कियों की ज़िन्दगी ।।

ये सदा अंकित रहेगी अनुभवों के ग्लोब पर ।
अक्ष, ध्रुव, देशांतर है लड़कियों की ज़िन्दगी ।।

सब समीकरणों में अपनी अस्मिता के मान को।
हर समय रखती अचर है लड़कियों की ज़िन्दगी।।

ये तो बतलाओ कि घर की नींव को रखने के बाद।
क्या फ़क़त दीवार-ओ-दर है लड़कियों की ज़िन्दगी।।

🌸 🍀 🌸

विवेक चतुर्वेदी
पता – महल्ला बाज़ारकला , निकट कुदेशिया मंदिर सहसवान रोड / उझानी ( बदायूँ ) उत्तर प्रदेश 243639
मोबाइल नंबर 7895811012

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