आत्मकथा का ‘ द्वारिका ‘ – धाम
28 अगस्त 2021 की संध्या का एक टुकडा भाई
द्वारिकाप्रसाद अग्रवाल के साथ खर्च हुआ । पूर्व की भांति
उन्होंने मेरी लायब्रेरी की समृद्धि के लिए कुछ पुस्तकें भेंट कीं। साथ ही उन्होंने अपने हिस्से की खुशी को भी साझा किया कि उनकी आठवीं कृति ‘ कहां ले चले हो बता दो मुसाफिर ‘ ( यात्रा वृत्तांत ) और नवमीं कृति ‘ तेरी मेरी कहानी है’ ( कहानी संग्रह ) आगामी माह में पाठकों के हाथों को स्पर्श करेगी । कृति – विमोचन की औपचारिकता पर विश्वास नहीं करनेवाले द्वारिका भाई का मानना है कि उनकी कृति का पहला पाठक ही विमोचक होता है । आत्मकथाकार के रूप में हिंदी जगत में प्रसिद्धि पा चुके द्वारिकाप्रसाद अग्रवाल का साक्षात्कार दूरदर्शनके भोपाल केन्द्र से प्रसारित हो चुका है ।
आत्मकथाकार के रूप में इनका धमाकेदार प्रवेश
” कहां शुरू कहां खत्म ” ( प्रथम खंड) से हुआ था । मैं स्वयं एक सांस में पढ गया था । इस खंड में इन्होंने 1975 में सृजित और 1983 में पुस्तकाकार प्रकाशित मेरी लंबी
छत्तीसगढी कविता ‘अरपा नदिया ‘ की पंक्तियों को भी
सार्थक ढंग से उद्धृत किया है ।’ अरपा नदिया ‘ संप्रति
एम. ए. (छतीसगढी) के पाठ्यक्रम में समादृत है ।
इनकी आत्मकथा का दूसरा खंड ‘ पल- पल ये पल’
और तीसरा खंड ‘ दुनिया रंग बिरंगी ‘ भी लोकप्रिय हुए हैं। ये
पहले होटल व्यवसाय से जुडे रहे हैं । गोलबाजार बिलासपुर
स्थित ” पेंड्रावाला ” के समोसे का स्वाद जिसे नहीं मिला , उसके
जीवन से बहुत कुछ छूट गया । भाई द्वारिका अपने समोसे की
तरह चटपटे और मसालेदार बनाकार अपने सृजन को परोसते
हैं। आज के दोर में फेसबुक के माध्यम से विशाल पाठक वर्ग
जुटाना कोई साधारण बात नहीं है। इनके कहानी संग्रह
‘ याद किया दिल ने ‘ ,यात्रा वृत्तांत ‘ मुसाफिर जाएगा कहां ‘
और उपन्यास ‘ मद्धम मद्धम ‘ को भी सराहना मिली है ।
द्वारिका भाई एक्सिडेंटल लेखक हैं। इनकी तीन बार
मृत्यु से मुठभेड हुई है और तीनों बार इन्होंने केंसर को पछाड
दिया । 2003 में इंदौर में इनके चेहरे की ( दाहिने भाग) सर्जरी
हुई थी । फिर कालांतर में दो बार कोकिला बेन हास्पिटल मुंबई
में सर्जरी हुई । इनका मानना है कि रचना है ,इसलिए बचना है ।
सर्जना संजीवनी भी है । सृजन का अपना सुख भी है । तुलसी ने भी तो कहा है ,’ स्वान्त: सुखाय तुलसी रघुनाथगाथा ‘।
द्वारका भाई को देखकर सचमुच कहा जा सकता है कि जो
रचते हैं वो बचते हैं।
देवधर महंत
9399983585