‘जीवन सँभालने के लिए गाँधी विचार’ शृंखला का आयोजन
(27 सितंबर से 02 अक्टूबर 2021 तक)
अपने साथ एक पूरे युग को लेकर चलनेवाले गाँधी, अपने जीवन में सहजता, सादगी, स्व-विवेक और प्रयोगशीलता का भरपूर सहारा लेते हैं। उनके यहाँ स्वावलंबन और ज़िम्मेदारी से भरी स्वतंत्रता पर भरपूर ज़ोर है। वे जीवन से उपजे दर्शन के पर्याय बन जाते हैं।
मित्रो, आज से 02 अक्टूबर तक, गाँधी जयंती के बहाने, कुछ चर्चा-परिचर्चा होगी। मोहनदास के समर्पित और सोद्देश्यपूर्ण जीवन-आचरण के कुछ संदर्भ आएँगे। आधुनिक नवजागरण के आलोक में हम उन्हें समझेंगे। महात्मा के समाजोपयोगी विचारों को रेखांकित किया जाएगा। उनसे जुड़ी कुछ सरलीकृत स्थापनाओं पर पुनर्विचार होगा। बुद्धिजीवियों की जमात में गाँधी की अवस्थिति पर बात होगी। हमारे लिए गाँधी आज किस तरह प्रासंगिक हैं, इसे बेहतर रूप में समझेंगे। हम सच्चे अर्थों में उनकी राह पर किस तरह चल सकते हैं, इस ओर कुछ देर ठहर कर सोचेंगे। शिक्षा, नैतिकता, प्रतिरोध, जन-आंदोलन,राजनीति आदि कई क्षेत्रों में और एकाधिक धरातलों पर गाँधी, विश्व मानवता के लिए कैसे अपरिहार्य हो उठते हैं, इस दिशा में चर्चा होगी।
इस शृंखला में अपनी बात रखने के लिए पत्रकरिता, दर्शन, साहित्य, इतिहास, राजनीति,
सामाजिक सेवा आदि से जुड़े लोग हमारे साथ जुड़ेंगे। इन्हें सुनना कई स्तरों पर आवश्यक और महत्वपूर्ण है। हम इन वक्तव्यों से लाभांवित हो सकते हैं।
इसकी पहली कड़ी में सोपान जोशी जी का वक्तव्य होगा। आज शाम साढ़े सात बजे से।
उनके वक्तव्य का शीर्षक है –
‘प्रयोग, साहस और सामाजिकता’ ।
मित्रगण जुड़ें और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कृपया अपना योगदान दें।