November 16, 2024

आंखों ने देखने लगे हैं उड़ते बादल ।
आंखों में तैरने लगे हैं उड़ते बादल ।।

आंखों ने देखे थे हसीन सपने,
सपने कुचलने लगे हैं मतवाले बादल ।

सपने बादलों में घुल गया है,
घुलकर बरसने लगे हैं उमड़ते बादल ।

बादल जब-जब बरसते हैं,
सपनों को छलने लगे हैं बरसते बादल ।

सपने जब बादलों में सजते हैं,
आंखों को डराने लगे हैं गरजते बादल ।

आंखें जब जब बरसती है !
आंखें चुपचाप बरसती है !!

आंखों के संग नहीं रोते बादल,
आंखें परखने लगे हैं उड़ते बादल ।

आंखों ने देखने लगे हैं उड़ते बादल ।
आंखों में तैरने लगे हैं उड़ते बादल ।।

स्वरचित एवं मौलिक
मनोज शाह ‘मानस’
नई दिल्ली-110015
मो.नं.7982510985
27.09.2021

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