कल बापू को देखा !
कल बापू को देखा ! सपने इतने ख़ूबसूरत भी होते हैं !
-सरला माहेश्वरी
सपने में ही सही
कल बापू को देखा
जी भर कर देखा।
पूरे दिन बस देखती ही रही !
वही खिलखिलाता चेहरा
वही घुटनों तक की आधी धोती !
पूरे दिन चल रहा था शायद कोई अधिवेशन !
मैं बस उनके पास ही मंडराती रही
मैं कितनी बड़ी थी या छोटी
सपने में तो कुछ समझ नहीं आया
हाँ इतनी बड़ी ज़रूर थी कि बापू होने का
मतलब समझ सकती थी
आख़िर जब बापू उठे तो मचल उठी
बापू ! मुझे आशीर्वाद दो !
बापू मैं सारी दुनिया को बताऊँगी कि
मैंने बापू को देखा था !
बापू ने हँसते हुए बाँहों में भर लिया मुझे !
लो ! तुमको क्या दूँ !
मेरे सब आशीर्वाद तुम्हारे लिये हैं !
ओ बापू ! सपना टूट गया ! भोर हो गयी !
पर…तुम्हारे हाथों का वो स्पर्श ! उसकी गंध अभी भी मुझमें समाई हुई है !
ओह पहले गिरमिटिया !
तुम्हारी याद हमेशा गुदगुदाती रहेगी !
आओ बापू एक बार ही सही सबके सपनों में आओ !
एक बार फिर उन्हें प्यार का पाठ पढ़ा दो !