“100 वर्ष : बापू और छत्तीसगढ़” – संग्रहणीय स्मारिका
गांधी जी का प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास दिनांक 20 / 21 दिसंबर सन 1920 में हुआ था दिसंबर 2020 में गांधीजी के प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास को शताब्दी वर्ष के रूप में चिन्हित करते हुए हरि ठाकुर स्मारक संस्थान के लिए मीडिया लिंक द्वारा “100 वर्ष बापू और छत्तीसगढ़” नाम की स्मारिका का प्रकाशन किया गया जिसके संपादन मंडल में अशोक तिवारी, आशीष सिंह एवं प्रभात मित्र हैं।
स्मारिका के प्रारंभ में संपादक मंडल ने लिखा है – “हालांकि महात्मा गांधी के प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास की जानकारियां गांधी जी से संबंधित किसी भी अधिकृत दस्तावेज में नहीं मिलती लेकिन उनके 20 और 21 दिसंबर 1920 को रायपुर व धमतरी में उपस्थिति के भी पर्याप्त चिन्ह मिलते हैं। महात्मा गांधी के आगमन के प्रति संदेह और संभावनाओं के बीच हम उनके प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास का शताब्दी वर्ष मना रहे हैं। गांधीजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर उनके समय में और बाद में भी लिखा जा रहा है। संभवत: वे दुनिया में ऐसे अकेले व्यक्ति हैं जिनके बारे में इतना अधिक लेखन हुआ है। महात्मा ने जितनी प्रशंसा पाई, उतनी ही उनको आज भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। उन पर लगातार लिखा जाना, उन पर चर्चा होना, बहस होना ही सिद्ध करता है कि सवा सौ वर्ष के बाद भी वे अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। आइंस्टीन के शब्द इन अर्थों में भी सिद्ध हुए हैं, भविष्य की कौन जाने?
स्मारिका का पहला लेख आशीष सिंह का लिखा है “छत्तीसगढ़ में गांधी”। तत्पश्चात द्वितीय लेख में 1933 गांधीजी का द्वितीय प्रवास के अंतर्गत – अस्पृश्यता निवारण के उद्देश्य से दुर्ग से आरंभ हुई यात्रा का वर्णन है। रायपुर के विक्टोरिया गार्डन (मोती बाग), सतनामी आश्रम, राजकुमार कॉलेज, कुष्ठ,-आश्रम, धमतरी बिलासपुर आदि से संबंधित संस्मरण एवं प्रसंगों का उल्लेख है। अगले आलेखों में छत्तीसगढ़ को बापू का संदेश, राजकुमार कॉलेज रायपुर, भाषणों के अंश, बलोदा बाजार में भाषण आदि का संकलन है। तत्पश्चात “मोहनमाला”, “गांधीवाद” (मीमांसक रामदयाल तिवारी) “विधि निर्मित शुक्रवार” (प्यारेलाल), “आखिरी दिन का आंखों देखा हाल” (महात्मा गांधी के निजी सचिव वी.कल्याणम) “ज्योति बुझ गई” (20 जनवरी 1948 की शाम को रेडियो पर गांधीजी के अवसान का ऐलान करते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के भाषण के अंश), “यमुना तट की राख में से” (राजेंद्रप्रसाद), “शोक छोड़कर काम से लगे” (वल्लभभाई पटेल), “मैं अनाथ की तरह बोल रहा हूँ” (देवदास गांधी), “शोक में डूबे हुए स्वजनों से” (किशोर लाल मशरूवाला), “मुक्त आत्मा गांधी” (काका कालेलकर), “गांधी जी का आखरी वसीयतनामा”, “रामराज्य” “ब्रह्मचर्य” (महात्मा गांधी), “महात्मा गांधी पर कबीर का प्रभाव” (डॉ. चरणदास महंत), “महात्मा गांधी की अवहेलना तथा उसका फल” (ठाकुर प्यारेलाल सिंह), “गांधी प्रासंगिक नहीं, स्वयंसिद्ध हैं” (पुरुषोत्तम अग्रवाल), “गांधी जी का ‘हिंद स्वराज’ मानवीय गरिमा की प्रतिष्ठापना का मंत्र”, (प्रोफ़ेसर बलदेव भाई शर्मा), “महात्मा गांधी और आत्मकथा” (शशांक शर्मा), “प्रोफेसर लक्ष्मीशंकर निगम का पत्र, आशीष को”, “महात्मा गांधी की जिद” (डॉक्टर ब्रजकिशोर प्रसाद सिंह), “गांधीजी की तलाश” (राहुल कुमार सिंह), “बापू की आभा और अभिभूत अमेरिकी” (अशोक तिवारी), “गांधी बाजीगर महात्मा!” (जितेंद्र शर्मा), “गाँव: गांधीजी की परिकल्पना” (संजीव तिवारी), “गांधीजी की पर्यावरण दृष्टि” (राकेश चतुर्वेदी), “महात्मा गांधी की प्रशासनिक अवधारणा” (डॉक्टर सुशील त्रिवेदी), “रामराज्य, स्वराज और किसान” (सचिन शर्मा), “महात्मा गांधी की शिक्षा नीति” (असीम मिश्रा), “गांधीजी, महिला सशक्तिकरण और छत्तीसगढ़” (डॉ. शकुंतला तरार), “महात्मा गांधी की साहित्यिक दृष्टि” (डॉक्टर सुभद्रा राठौर), “छत्तीसगढ़ी साहित्य में गांधीजी” (राम पटवा), “गांधीजी की व्यंग्य दृष्टि” (अरुण कुमार निगम), “मातृभाषा बनाम माँ की भाषा” (रामेश्वर शर्मा), “महात्मा गांधी की भाषा” (डॉक्टर सुधीर शर्मा), “महात्मा गांधी भी हुए थे क्वारन्टीन” (स्वराज करुण), “गांधी और कांग्रेस” (शैलेश नितिन त्रिवेदी), “गांधीजी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” (प्रभात मिश्र), “विभूतियां और गांधीजी” (अरविंद मिश्रा), 1950-फिल्म “महात्मा गांधी” (अनिरुद्ध दुबे), “पत्रकारिता और गांधीजी” (मनीष शर्मा / विकेश उके), “गांधीजी और ट्रस्टीशिप का सिद्धांत” (अभिमन्यु सिंह), “आइंस्टीन के कमरे में गांधी जी की तस्वीर” (साभार सत्याग्रह), “चार्ली चैपलिन और गांधीजी”, “मजाकिया गांधीजी” (मधुकर उपाध्याय), “लालटेन की रोशनी में बापू का ऑपरेशन”, “महात्मा गांधी और कश्मीर” (डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री), “भगत सिंह की फांसी और महात्मा गांधी”
इस स्मारिका में इन लेखों, आलेखों, संमरणों और प्रसंगों के बाद कुछ महत्वपूर्ण पत्र जैसे गांधी जी के नाम शहीद सुखदेव की खुली चिट्ठी, महात्मा गांधी का जवाब, गांधी जी का पत्र सुभाष के नाम, हिटलर को पत्र, पत्र कस्तूरबा को, पंडित नेहरू को पत्र, पंडित नेहरू का उत्तर आदि भी इसमें समाहित किये गए हैं।
इस स्मारिका में कुछ लेख तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं से साभार लिए गए हैं जैसे (गुजराती से) हरिजनबन्धु 17.12.1933, साभार सम्पूर्ण गांधी वाङ्गमय, (अंग्रेजी) हरिजन 01.12.1933, गांधी मीमांसा से साभार संपादित अंश, हरिजन, 15 फरवरी 1948, (अंग्रेजी से) नई दिल्ली 04.02.1948 आदि।
अंत में सात विदेशी लेखकों की दृष्टि में गांधी जी पर लेख भी संकलित हैं।
Portrait (Will Durant)
Misc. Notes from a house guest (Louis Fischer)
On peace and Gandhi( Albert Einstein)
The massage of Gandhi( Edgar P. Snow)
The glaring improbability of Gandhi’s death (Mary McCARTHY)
Pilgrimage to non violence (Martin Luther King Jr.)
What we can learn from Gandhi (Chester Bowlers)
यूँ तो महात्मा गांधी के बहुआयामी व्यक्तित्व और असीमित कार्यों को किसी स्मारिका में समेट पाना असम्भव कार्य है तथापि संपादक मंडल ने इस स्मारिका “100 वर्ष बापू और छत्तीसगढ़” में उनके जीवन के अनेक आयामों से परिचित कराने का सराहनीय प्रयास किया है। स्मारिका में अनेक अनछुए प्रसंगों का भी उल्लेख हुआ है तो निस्संदेह वर्तमान पीढ़ी के लिए अत्यंत ही उपयोगी हैं। इस संग्रहणीय स्मारिका के प्रकाशन हेतु संपादक मंडल सर्वश्री अशोक तिवारी, आशीष सिंह, प्रभात मिश्र तथा प्रकाशक हरिठाकुर स्मारक संस्थान के लिए मीडिया लिंक, 413, सुन्दर नगर, रायपुर को शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।
स्मारिका : 100 वर्ष – बापू और छत्तीसगढ़
संपादक मंडल : अशोक तिवारी, आशीष सिंह, प्रभात मिश्र
प्रकाशक : प्रकाशक हरिठाकुर स्मारक संस्थान के लिए मीडिया लिंक, 413, सुन्दर नगर, रायपुर
संपर्क : 9340023363
सहयोग : ₹ 500/-
पेज सेटिंग : संजय सोम (मोना)
आवरण परिकल्पना : विकेश उके
शुभेच्छु :
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)