November 18, 2024

“चंदैनी गोंदा के संस्थापक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी की 105 वीं जयन्ती सार्थक विचार गोष्ठी के रूप में मनायी गयी”

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25 अक्टूबर 2021 को दाऊ रामचंद्र देशमुख जी की 105 वीं जयन्ती पर सेमिनार हॉल, मानव विज्ञान विभाग, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में डॉ. सुरेश देशमुख द्वारा संपादित ग्रंथ “चंदैनी गोंदा : छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था। समारोह के मुख्य अतिथि माननीय श्री मनोज मंडावी (उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा) अध्यक्षता डॉ. केशरीलाल वर्मा (कुलपति पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर) तथा विशिष्ट अतिथि श्री मनु नायक (निर्माता, प्रथम छत्तीसगढ़ी फ़िल्म कहि देबे संदेश) थे।

संपादकीय वक्तव्य देते हुए डॉ. सुरेश देशमुख ने कहा – “मैंने यह किताब लिखकर अपने पुरखों की निशानी को संरक्षित किया है।” उन्होंने संक्षेप में यह भी बताया कि इस ग्रंथ के लिए तथ्यों को संग्रहित करने में किस-किस तरह की कठिनाइयों का करना पड़ा था।

आधार वक्तव्य में अरुण कुमार निगम ने चंदैनी गोंदा की रिहर्सल और दाऊ जी से संबंधित संस्मरणों का उल्लेख करते हुए इस ग्रंथ को दाऊ जी के व्यक्तित्व और सर्जना को समग्र समाहित करने वाला ग्रंथ बताया।

अतिथि वक्ता के रूप में रायगढ़ से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बिहारीलाल साहू जी ने दाऊ रामचंद्र देशमुख की से हुई मुलाकातों तथा चंदैनी गोंदा की प्रस्तुतियों के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि जो समाज अपनी विभूतियों को स्मरण नहीं करता, इतिहास भी उस समाज को विकृत कर देता है, भुला देता है।

अतिथि वक्ता भाषाविद डॉ. चितरंजन कर ने अपने उद्बोधन में कहा कि दाऊ जी अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि से सम्पन्न थे, किसी भी तरह का अभाव नहीं था फिर भी उन्होंने कला का दामन थामा। दाऊ जी अमर रहेंगे क्योंकि ने किसी तरह का कभी शासकीय अनुदान नहीं लिया, किसी की बैसाखी नहीं ली। एक स्वावलंबी संस्था बनायी। उन्होंने दाऊ जी को व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्था निरूपित किया।

विशिष्ट अतिथि श्री मनु नायक बताया कि 1965 में
दाऊ जी के साथ उन्होंने धमतरी, भानुप्रतापपुर और जगदलपुर का तीन दिवसीय दौरे किया था और उसके बाद बिलासपुर में कहि देबे संदेश प्रदर्शन हेतु दाऊ जी को भी साथ में ले गए थे।उस दौरान उन्होंने महसूस किया कि दाऊ जी अंदर से कहीं आहत हैं, उनका काम पूरा नहीं हुआ है। वे धरती से गहरा लगाव रखते थे।

श्री केशरीलाल वर्मा जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जब-जब हम छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान, अस्मिता और आत्म-गौरव की बात करते हैं तब तब हमारी महान विभूतियों की हमें याद आती है। हमें इन महान विभूतियों के अवदानों के बारे में अपनी नयी पीढ़ी को अवश्य ही बताना चाहिए ताकि वे अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें।

मुख्य अतिथि माननीय श्री मनोज मंडावी ने दाऊ रामचंद्र देशमुख को स्मरण करते हुए बचपन में देखे गए चंदैनी गोंदा के मंचन की भव्यता के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि जब तक हम अपने अतीत को याद नहीं करेंगे, आगे नहीं बढ़ पाएंगे और अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल नहीं हो पाएंगे।

कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. अरविन्द मिश्रा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक प्रधान (प्रमुख, मानव विज्ञान विभाग, रविवि रायपुर) ने किया।

इस समारोह में चंदैनी गोंदा की गायिका अनुराग ठाकुर, नृत्य निर्देशिका शैलजा ठाकुर और लोकनाट्य “कारी” में सरपंच व नरेटर की भूमिका निभाने वाले विजय मिश्रा “अमित” के अलावा अंचल की सुप्रसिद्ध हस्तियाँ जैसे श्री श्याम वर्मा (आकाशवाणी रायपुर), श्री अशोक तिवारी, डॉ. बलदाऊराम साहू, डॉ. सुधीर शर्मा, श्री जागेश्वर प्रसाद, श्री रामेश्वर शर्मा, डॉ. शकुन्तला तरार, डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर, श्री राजशेखर चौबे, श्री जयन्त साहू, श्री चंद्रशेखर चकोर, डॉ. सोम गोस्वामी, श्री रमेश शर्मा, श्री संजीव साहू, मानव विज्ञान विभाग के विद्यार्थीगण, डॉ. सुरेश देशमुख के सुपुत्र और सुपुत्री सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

कार्यक्रम के संयोजक : डॉ. सुरेश देशमुख
कार्यक्रम के सूत्रधार : डॉ. अरविन्द मिश्रा

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