नंदकिशोर तिवारी को सुंदर लाल शर्मा राज्य अलंकरण सम्मान
हिंदी और छत्तीसगढ़ी के समर्थ आलोचक, लोक साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान नंदकिशोर तिवारी का जन्म बिलासपुर में 19 जून 1941 को हुआ। छत्तीसगढ़ी के प्रणेता कवि पं द्वारका प्रसाद तिवारी विप्र और कवि पं गंगाप्रसाद तिवारी के परिवार के श्री तिवारी ने साहित्य संस्कार, अध्ययन, अभ्यास और साधना से अर्जित किया है। लोकगाथा पंडवानी पर आलोचनात्मक दृष्टि से किया गया उनका अनुसंधान और उस पर केंद्रित पुस्तक ने उन्हें ख्याति दिलाई। उन्हें मध्यप्रदेश सरकार ने सम्मानित भी किया। लोकनाट्य रहस पर भी उनकी इस विधा की इकलौती पुस्तक है। अब तक चौबीस पुस्तकों का लेखन किया जिनमें अधिकांश छत्तीसगढ़ी साहित्य और संस्कृति पर केंद्रित है। इन पुस्तकों में छत्तीसगढ़ी साहित्य का ऐतिहासिक अध्ययन, पं मुकुटधर पाण्डेय- व्यक्तित और कृतित्व, पंडवानी, रहस, भरथरी, विप्र रचनावली, छत्तीसगढ़ की लोकगाथाएं और नाटक तथा कविता की पुस्तकें शामिल हैं। वे अनेक विश्वविद्यालयों के कुलसचिव रहे जिनमें सागर, बिलासपुर और रीवा शामिल है। छत्तीसगढ़ी की इकलौती नियमित पत्रिका छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर का विगत पच्चीस वर्षों से संपादन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी साहित्य के वर्तमान स्वरूप की प्राप्ति, प्रतिष्ठा और प्रगति में श्री तिवारी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।