सोशल मीडिया में हिन्दी भाषा का बढ़ता प्रयोग डाँ. अंकिता नामदेव
किसी भी देश की पहचान वहाँ बोली जाने वाली भाषा से होती है भारतवर्ष की राजभाषा के साथ साथ देश मे सर्वाधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी भाषा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत के प्रत्येक राज्य में हिन्दी भाषा बोली व जानी जाती है भाषा भावों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ महत्वपूर्ण सूचना व ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम रही है भाषा के द्वारा ही ना केवल अपने साहित्य को लोकतंत्रात्मक रखा जाता है बल्कि लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग जनता भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के द्वारा लोकतंत्र में अपनी हिस्सेदारी का महत्व समझते हुए अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रहे है। इस प्रकार भाषा को जनसंवाद के रूप में जोड़नें का काम आज के इस इलेक्ट्रॉनिक युग में इंटरनेट के माध्यम से तीव्रगामी रूप से हो रहा है सोशल मीडिया- फेसबुक,टि्वटर,ब्लॉग,इंस्टाग्राम टेलीग्राम,व्हाट्सएप आदि के द्वारा आज ग्लोबल लैंग्वेज को पीछे छोड़ते हुए हिन्दी भाषा ने अपने पैर पसार लिए हैं आज सोशल मीडिया में न केवल साहित्यकार व वृद्धजन बल्कि युवा वर्ग भी अपनी बात मातृभाषा में रखने से परहेज नहीं करते हैं ।
सोशल मीडिया जहाँ वर्तमान में संचार व अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम की भूमिका निभा रही है वही जनमानस की भाषा माने जाने वाली हिन्दी भी सोशल मीडिया में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं यहाँ तक कुछ समय पश्चात हिन्दी भाषा का वर्चस्व इतना होगा कि ईमेल आईडी भी हिन्दी में बनाई जाने लगेगी। आज सोशल मीडिया के सभी माध्यमों में हिन्दी लिखने वालों की संख्या बहुत अधिक बढ़ रही है
ब्लॉग की दुनिया में सक्रिय अनेक लेखक हिन्दी में लिखना ही पसंद करते हैं। हिन्दी भाषा मे लिखने वालों का एक बडा़ वर्ग हमेशा ही सक्रिय देखने को मिलता है ।
सोशल मीडिया ने आज बड़े-बड़े उद्योग,विज्ञापन, फिल्म प्रमोशन ,इलेक्शन,राजनीतिक मुद्दे व राजनीतिक टीका-टिप्पणी, साहित्य का विस्तार,व्यापार, वाणिज्य,ऑनलाइन क्रय-विक्रय, टेलीविजन व जनसाधारण आदि के लिए एक विश्वव्यापी प्लेटफार्म वह भी कम खर्च में उपलब्ध कराया है आज चुनाव के प्रचार प्रसार का स्वरूप सोशल मीडिया के माध्यम से बदल चुका है आज फेसबुक लाइव ने अनेक जन समूह को ऑनलाइन रूप से अर्थात् वर्चुअल मंच से जोड़ने व लोगों में अपनी बात को कमेंट बॉक्स में लिखकर सार्वजनिक विमर्श करने की गुणवत्ता को बढ़ाया है इस प्रकार आज सोशल मीडिया ने ही हिन्दी भाषा को राजभाषा से विश्व भाषा बनाने का बीड़ा उठाया है ।
सोशल मीडिया में अपलोड हिन्दी भाषी वीडियो ने अनेक देशों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है जिसके परिणामतः हमारे ही देश के गैर हिन्दी भाषी भी आज हिन्दी भाषा के समझने, बोलने व लिखने की जरूरत को स्वीकार कर रहे हैं ।
आज हर चीज की सोशल मीडिया में उपस्थिति को जहाँ एक नए ट्रेंड के साथ जोड़ा जा रहा है वहीं हर संस्था,व्यक्ति, सरकार,कंपनी,साहित्यकार, साहित्य कर्मी,सामाजिक संस्था, नेता,अभिनेता की लोकप्रियता सोशल मीडिया में उसके फॉलोअर्स व प्रभाव की कसौटी पर नापी जा रही है ऐसे में किसी भी संवाद के जरीये अधिकाधिक जनता तक पैठ बनाए रखने के लिए हिन्दी भाषा की जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही बढ़ चुकी है क्योंकि हिन्दी ही भावों को यथार्थ रूप में अभिव्यक्त करने वाली एकमात्र भाषा है
आज लगभग हर मुद्दे पर सोशल मीडिया में विचार विमर्श किया जा रहा है देश के प्रधानमंत्री जी भी किसी भी शुभ समाचार के लिए जनता को बधाई पहले सोशल मीडिया का ही प्रयोग करते हैं सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया से अधिक तीव्र व जन तक पहुँच रखने वाला सशक्त माध्यम की अपनी छवि बना चुका है। इसी सोशल मीडिया के बढ़ते कदम की दिशा में हैशटैग ने भी अपनी गरिमा बनाई रखी है हिन्दी में जो भी संदेश देना चाहते हैं उसके बाद हैशटैग के साथ एक क्लिक अर्थात हम उस हैशटैग के जरीये उस संदेश से रिलेटेड अन्य पोस्ट पर पहुँच सकते हैं इस प्रकार हैशटैग अपने आप में एक लिंक है जिसके द्वारा उसी तरह की सभी पोस्ट को एक साथ एक पेज पर देखा जा सकता है।
यूट्यूब भी हमारे देश में एक अच्छा सोशल मीडिया का माध्यम रहा है आज जहाँ यूट्यूब के द्वारा न केवल ज्ञान की क्लासेस बल्कि खाना बनाना, साहित्यिक गतिविधियाँ, नृत्य, संगीत, हास्य साथ ही साथ किसी भी कार्यक्रम को यूट्यूब में अपलोड करके उसे लाइव अनेक दर्शकों को दिखाने के लिए अपलोड करने का प्रचलन की बढ़ चुका है।
जनवरी 2021 के अनुसार जहाँ यूट्यूब यूजर्स दुनिया मे 2.29 बिलियन रहे हैं वहीं भारत में इसके 225 मिलियन यूजर्स रहे है जो की देश की कुल जनसंख्या का 16% रहा है जिसमें से अधिकांश वीडियों हिन्दी भाषा में ही बनाए व देखे गए है इसी तरह जुलाई 2021 के अनुसार भारत में फेसबुक यूजर्स की संख्या 433900000 हो गई जोकि देश की कुल जनसंख्या का 30.8% रही है इस प्रकार सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग का कारण हिन्दी भाषा ही है कि आज हमारे देश में अधिकांश लोग सहज व सरल रूप से सोशल मीडिया का प्रयोग कर अपने भावों की अभिव्यक्ति कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग ने न केवल हमें पहले की तुलना में सामाजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से जागरूक किया है अपितु हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है सोशल मीडिया अपने मूल स्वभाव में जनतांत्रिक दिखता है तथा देश की अधिकांश जनता हिंदी भाषा का ही प्रयोग करती है जिसके परिणामतः सोशल मीडिया का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है।
सोशल मीडिया लोगों की तरह-तरह के रचनात्मक प्रयोगों का साथी बन रहा है नए लेखक नए साहित्य गढ़ रहे हैं टि्वटर हो या इसी तरह के दूसरे माध्यम मिनटों में किसी को आसमान पर बिठाने की कूबत रखते हैं और धराशाई करने की भी।
निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि सोशल मीडिया में हिन्दी भाषा का प्रयोग अस्वभाविक रूप से बढ़ा है सोशल मीडिया ने हिन्दी साहित्य और हिन्दी भाषा को विस्तार तो दिया ही है किन्तु इसके स्वरूप को भी परिवर्तित किया है लेकिन इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता कि जब कोई भाषा विभिन्न बोली बोलें जाने वालों व्यक्तियों व क्षेत्रों से होकर गुजरेगीं तो इसके स्वरूप में परिवर्तन होगा ही,किंतु आज तकनीकी दृष्टि से सभी चुनौतियों से निपटने के बाद जब हिंदी भाषा सभी प्लेटफार्म में उपयोग हेतु उपलब्ध है तो इसके स्वरूप व शुद्धता पर गहन विचार ना करते हुए इसे जनसामान्य हेतु अभिव्यक्ति का सरल व सहज माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए वैसे भी सदियों बाद तो सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों में जनसंचार व जागरूकता का भाव विकसित हो सका है इस पर किसी भाषा की शुद्धता की कसौटी का विचार करके इस जनचेतना को अवरुद्ध नहीं करना चाहिए ।
सन्दर्भग्रन्थः-
1) रविन्द्र जाघव केशव मोरे. (2016) हिन्दी और मीडियाः बदलती प्रवृत्ति, दिल्लीः वाणी प्रकाशन
2) हंस (हिन्दी मासिक पत्रिका) सितम्बर 2018
3) डाँ. अम्ब्रीश त्रिपाठी. हिन्दी का नया वितानः सोशल मिडिया ISSN:2231-4989
4) www.investopedia.com
5) hindubhashaa.com
6) yourstort.com/hindi/14704cc8a2_how_much_waste_on_soci/amp