नए लक्ष्य जीवन के
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना।
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना।
संघर्षो के द्वार से खुलता, सुंदर सपने वाला जीवन
दर्शन अनुभव वाले मोती, होते मनमंदिर को अर्पण
मोती माला से सुसज्जित, ढंग अनेक रंग से भरना
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना।
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना।
पसंद नापसंद की फुहार, नेक बहार खुशी बरसाए
भोजन में अनजाने कंकड़, सहज समझ दूर हटाये
मिले सफलता हर कदम, प्रयास हमेशा पूरा करना
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना।
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना।
जाने पहचाने कम होते, अनजानों से निभाना होता
गुण स्वभाव ही उत्प्रेरक, कृतत्व भरे मार्ग पिरोता
नहीं जौहरी हरेक यहां, निज मूल्य कम नहीं करना
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना।
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना।
थमना चलना दौड़ कभी, बहुत जीवंत कहानी है
गति नियंत्रण दशा दिशा,अनकही भाषा सुहानी है
जीवन सदृश्य वाहन भी, प्रबल स्नेह सदा रखना
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना
पूरा जीवन एक कहानी, कई कथाओं से बनता है
सत्ते पे सत्ता और कभी, नहले पे दहला रखता है
अपना सर्वस्व दिखाने को, मोर पंख सजाते रहना
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना।
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना।
कर्म धर्म के संकल्पों ने, एकता संदेश दिखलाया
अखंड भावना और कृत्य, सर्वमान्य सरदार बनाया
सुंदर सोच अनुपम ‘राज’, हृदय नित ‘हर्षा’ए रखना
नए लक्ष्य सदा जीवन के, जरूरी होता तय करना।
लक्ष्य जब जब प्रासंगिक, समय ताल से पग धरना।
रचयिता: कवि विजय गुप्ता, 31 अक्टूबर 2021