दिए जलाएं
आओ फिर से दिए जलाएं।
मिलकर तम को दूर भगाएँ।
आडम्बर, प्रपंच, पाखण्ड से
हरदम दूर रहें हम ।
ईर्ष्या, द्वेष कहीं न हो,
न हो कोई गम।।
छल कपट के तम को हरकर
प्रेम का दीप जलाएं।
आओ ________________________(1)
हो समाज में समरसता
कम न हो सम्मान ।
ज्ञान का दीप चलो जलाएं,
कर लें कार्य महान।
बाल विवाह औऱ कुरीति के
तम को दूर भगाएँ।
आओ _________________________(2)
बेटी है पराया धन
संकीर्ण है सोच विचार।
बेटा ही देगा मुखाग्नि,
है सोंच बेकार ।
इन कुरीतियों के तम को
फिर से दूर भगाएं।
आओ __________________________(3)
पढ़ा लिखा हो हर परिवार
हर का हो सम्मान।
हुनरमंद हर एक व्यक्ति हो,
बने भारत की पहचान।
शिक्षा का दीप जला दें हम सब
आगें बढ़ते जाएं।
आओ ________________________(4)
“Happy Diwali
(यह मेरी मौलिक रचना है)
” मुल्क मंजरी ”
भगवत पटेल
2/सी-9, वृन्दावन कालोनी , लखनऊ