December 3, 2024

विजय गुप्ता का काव्य संग्रह ‘वक़्त के वक्तव्य’ और शशिप्रभा का ‘यादों की गुदगुदी’ का विमोचन

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दुर्ग जिला हिंदी साहित्य के आयोजन में 19 दिसंबर रविवार को होटल गार्नेट इन में विजय गुप्ता का तृतीय काव्य संग्रह ‘वक़्त के वक्तव्य’ और शशिप्रभा गुप्ता का प्रथम काव्यसंग्रह ‘यादों की गुदगुदी’ का भव्य समारोह के साथ विमोचन एवम लोकार्पण सम्पन्न हुआ।शशि प्रभा गुप्ता ने अपना संग्रह अपनी स्व अम्मा तारा देवी रूसिया और वयोवृद्ध बाबूजी श्री केदारनाथ रूसिया जी को समर्पित किया है।
कार्यक्रम का प्रारंभ गुरुजी महंत यज्ञानंद ब्रम्हचारी जी के आशीर्वचनों का वाचन  ज्येष्ठ पुत्र विशाल दीप ने किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती सरला शर्मा ने की। आप दुर्ग जिला हिंदी साहित्य  समिति की वर्तमान अध्यक्ष भी हैं। विषय प्रवर्तन पर आपने विजय गुप्ता की पूर्व के संग्रह ‘करवट लेता समय’ और ‘ वक़्त दरकता है’ की व्याख्या करते हुए बतलाया कि, सामाजिक सरोकार, व्यक्तित्व विकास , देश प्रेम की कविताएं लिखते हुए समय ने जो करवट ली। आपकी लेखनी ने बताया, कि धरातल कितना भी मजबूत हो, वक़्त तो फिर भी दरकता ही है। तीसरे संग्रह ‘वक़्त के वक्तव्य’ में कवि कहना है, कि प्रत्येक समझ, वस्तु, व्यक्ति के द्वारा समय समय पर हमको खामोश वक्तव्य भी मिलते है, जिसे हम वक़्त के वक्तव्य ही तो कहेंगे। साथ साथ ये भी कहा कि, साहित्य समिति के इतिहास में पहली बार हो रहा है, कि किसी दंपति के काव्य संग्रहों का लोकार्पण एक साथ हो रहा है। यादों की गुदगुदी के माध्यम से शशिप्रभा जी नें अनूठे काव्यों से संग्रह तैयार किया, जिसका संबंध अतीत की यादों की सुखद घटनाओं से होता है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ के पी यादव कुलपति मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर थे। आप इंजिनीयरिंग मैनेजमेंट के सभी क्षेत्रों में phd प्राप्त श्री यादव जी लगभग 20 देशों की ऑनलाइन क्लासेज संचालित करते हैं। इसलिए उन्हें विश्व गुरु की उपाधि प्राप्त हुई है। आपने अपने उदबोधन में काव्यसंग्रह के लोकार्पण से जिंदगी में समाज को संदेश देने का कार्य सराहनीय है। छोटी छोटी कविताओं में बड़े बड़े संदेश हैं।
विशेष अतिथि श्री महेशचंद्र शर्मा जी ने कहा,सबसे कठिन मनुष्य होना है। परंतु मनुष्यता के साथ जीवन जीना और भी कठिन है।अपार संसार में कवि ही प्रजापति है। हमने दोनों काव्य संग्रह पूरे मनोयोग से
पठन किये हैं। उद्योगपति विजय गुप्ता का का काव्य प्रेम समस्या के साथ समाधान भी दर्शाता है। परिश्रमी और उद्यमीजन के ही कार्य सिद्ध होते हैं।
विशेष अतिथि श्री गिरीश पंकज जी कहा कि वर्तमान में साहित्यकार उद्योग की ओर जा रहे हैं। दूसरी ओर उद्योगपति साहित्य की ओर बढ़ रहा है। विजय गुप्ता के कुछ दोहे कालजयी प्रतीत होते हैं। भविष्य में दोहों पर ध्यान देते हुए संग्रह की रचना करने आव्हान किया।
विशेष अतिथि श्री सुधीर शर्मा  जी ने कहा, कविताकार  घर, दुनिया, सरकार, व्यवसाय, विसंगतियों पर भी लेखन करते हैं। अलग अलग रंग का प्रहार करते हैं।
‘वक़्त के वक्तव्य’ लोकार्पण के पश्चात समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री अरुण निगम ने कृति समीक्षा में कहा कि विजय गुप्ता के काव्यों में अनुप्रास, यमक अलंकार और मुहावरों का यथेष्ट प्रयोग सुंदर शिल्प का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
विजय गुप्ता एवम शशिप्रभा ने अपने उदबोधन में कई कविताओं की झलक स्वरूप प्रस्तुति दी।
‘यादों की गुदगुदी’ के लोकार्पण बाद श्रीमती विद्या गुप्ता द्वारा प्राप्त समीक्षा  का वाचन श्री अरुण कसार ने किया।अनुराग बने पलों को सहेजते हुए शशिप्रभा ने संग्रह को गूंथने का अनूठा प्रयास किया है। मन की संवेदना का सबसे सूक्ष्म तार मातापिता और संतान के बीच जुड़ता है। संग्रह के लोकार्पण बाद शशिप्रभा नें इस भावुक पल में अपना काव्य संग्रह 93 वर्षीय वयोवृद्ध बाबूजी श्री केदारनाथ रूसिया जी को समर्पित किया।
विजय गुप्ता के बड़े पुत्र ने  तीनों बेटों की तरफ से मां पिताजी के लिए संग्रह लोकार्पण हेतु सभागार में सुंदर विचार रखे ।सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह, शाल श्री फल से सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन समिति के सचिव बलदाऊ राम साहू ने किया। मंच संचालन डॉ इज़राइल बेग शाद और प्रीति वासनिक द्वारा किया गया।
विजय कुमार गुप्ता
उपाध्यक्ष,
दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति।
21 12 2021

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