रूठे यार को मनाऊं कैसे
रूठे को मैं कैसे मनाऊं,
होती जिनसे बात नहीं,
यादों में मैं उनके तड़पू
उनको मेरा ख्याल नहीं।।
कोई जाकर उन्हें बता दें,
उनके प्रेम में हम खोए है।
भेजे पुराने संदेश पढ़कर,
रात रात भर हम रोए है।।
कोई बता दें कैसे मना लूं,
होती जिनसे अब बात नहीं।
सच्चा प्रेम करता मैं उनसे,
भले उन्हें मेरा ख्याल नहीं।।
कोई खबर उन्हें ये कर दें,
मुझपे वो एक रहम कर दें।।
सुन ले मेरे दिल की बात,
मुझपर ऐसा तरस कर दें।
बिन किए दिल की बात,
दिल का हाल बताऊं कैसे।।
कोई तो मुझे इतना बता दें,
रूठे इस यार को मनाऊं कैसे ?
रूठना पर मुझसे बातें करना,
छोड़ मुझको तुम मत जाना।
था उनसे मेरा कुछ ऐसा वादा,
थोड़ा सता फिर वापस आना।।
कोई तो उनसे ये जाकर पूछे,
आखिर मैं प्यार बताऊं कैसे।।
जिस यार की चाहत हैं दिल में,
उस रूठे यार को मनाऊं कैसे ?
अंकुर सिंह
हरदासीपुर, चंदवक
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