November 22, 2024

एक ऐतिहासिक, गरिमामय एवं स्मरणीय समारोह जो छत्तीसगढ़ में एक अरसे तक कभी भुलाया नहीं जा सकेगा

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विनोद कुमार शुक्ल
जन्मदिवस समारोह
1 जनवरी 2022

रपट- जीतेश्वरी साहू
आप सब मित्रों के सहयोग और सक्रिय उपस्थिति से यह समारोह छत्तीसगढ़ का एक अभिनव और ऐतिहासिक समारोह सिद्ध हुआ है।

आप सभी मित्रों के द्वारा जुटाए गए आर्थिक संसाधन और प्रयास से आयोजित यह एक ऐसा समारोह सिद्ध हुआ है जिसमें न कोई मुख्य अतिथि था, न कोई अध्यक्ष और न ही कोई विशिष्ट अतिथि या मुख्यवक्ता। यह अपनी तरह का एक अलग से डिजाइन किया हुआ समारोह था।

यह पहला विशुद्ध आयोजन था जो बिना किसी शासकीय आर्थिक सहायता के मित्रों द्वारा जुटाए गए संसाधनों से किया गया।

विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं की पोस्टर प्रदर्शनी से प्रारंभ इस समारोह को गरिमामय बनाया रचना मिश्र और अन्य युवाओं की विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं के पाठ, सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका भारती सिंह राजपूत का शास्त्रीय गायन, देवेंद्र शुक्ल द्वारा विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित निर्देशित लघु फिल्म, आज की जनधारा और वीआईपी चैनल द्वारा विनोद कुमार शुक्ल पर निर्मित फिल्म आकर्षण के केंद्र बिंदु रहे।

इसके पश्चात विनोद कुमार से गुफ्तगू के दरम्यान विनोद जी ने जिस तरह से इस सवाल जवाब सत्र में पाठकों के प्रश्नों के जवाब दिए वह अद्भुत और स्मरणीय था। जब उनसे यह सवाल किया गया कि आप अंतरिक्ष से राजनांदगांव को देखेंगे तो कैसा महसूस करेंगे तो इसके जवाब में विनोद कुमार शुक्ल ने कहा अंतरिक्ष में जाकर अपने शहर राजनांदगांव को देख पाना तो मुश्किल है लेकिन मैं तो राजनांदगांव को ही उठाकर अंतरिक्ष में ले जाऊंगा।

एक अन्य सवाल के जवाब में विनोद कुमार शुक्ल ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की चिंता करते हुए बताया कि वे हमारे लिए केवल नाच, गाने और प्रदर्शन की ही वस्तु बनकर रह गए हैं।

एक अन्य सवाल के जवाब में अपनी पहली कविता के विषय में विनोद कुमार शुक्ल ने बताते हुए कहा कि जो कविता पहली बार प्रकाशित होती है वही कविता पहली कविता बन जाती है। मेरी पहली 8 कविताएं श्रीकांत वर्मा द्वारा संपादित ‘ कृति ‘ में प्रकाशित हुई थी।

एक अरसे बाद विनोद कुमार शुक्ल के साथ चार पांच घंटों का आत्मीय संग-साथ ने छत्तीसगढ़ के सभी रचनाकारों और पाठकों को अभिभूत कर दिया।

इस अवसर रमेश अनुपम द्वारा लिखित ‘विनोद कुमार शुक्ल के मायने’ तथा त्रिलोक महावर के काव्य संग्रह ’नदी के लिए सोचो’ का लोकार्पण विनोद कुमार शुक्ल द्वारा किया गया।

समारोह के समापन में छत्तीसगढ़ की साहित्यिक-सांस्कृतिक बिरादरी द्वारा विनोद कुमार शुक्ल को प्रशस्ति पत्र भी भेंट किया गया।

इस प्रशस्ति पत्र का वाचन युवा लेखिका श्रद्धा थवाईत द्वारा किया गया तथा इसे मुक्तिबोध के सुपुत्र रमेश मुक्तिबोध द्वारा विनोद कुमार शुक्ल को भेंट किया गया।

आभार प्रदर्शन डॉ. सुधीर शर्मा तथा समारोह का संचालन सुभाष मिश्र द्वारा किया गया।

इस समारोह का समापन प्रीतिभोज से हुआ।

इस विशेष अवसर पर मंत्र मुखिम (लंदन), सुदीप ठाकुर, के.के.चक्रवर्ती ( दिल्ली) कल्पना यदू (भोपाल) देवधर महंत, सतीश जायसवाल (बिलासपुर), मांझी अनंत, नम्रता यादव (धमतरी) रसना मुखर्जी, जितेंद्र (दुर्ग) मृत्युंजय द्विवेदी (शिवरीनारायण) शुभ्रांशु चौधरी (जगदलपुर) उपस्थित थे।

इसके अलावा रायपुर से सुशील त्रिवेदी, डॉक्टर विप्लव बंधोपाध्याय, संजीव बख्शी , त्रिलोक महावर , गिरीश पंकज, आलोक वर्मा, नंदकुमार कंसारी , संजय शाम , बालकृष्ण अय्यर , रमेश मुक्तिबोध, दिवाकर मुक्तिबोध, मनोज वर्मा, राहुल सिंह, आलोक देव, प्रदीप जैन, प्रतिभु बनर्जी, उर्मिला शुक्ल, श्रद्धा थवाईत, पथिक तारक, ब्रिगेडियर प्रदीप यदु , मंजू यदु , आलोक पुतुल, देवेंद्र शुक्ल, रामकुमार बेहार, समीर दीवान, शाश्वत गोपाल, राजेश गनौदवाले, हसन ख़ान, हर्ष शर्मा, गिरीजाशंकर गौतम, अरुण कठोटे ,अपराजिता जॉय नंदी, जीतेश्वरी, संजू साहू, हिना शुक्ला, नौशीन परवीन, छवि साहू और भी अन्य बहुत सारे हमारे प्यारे आत्मीय मित्र जो उपस्थित थे जिनका नाम हम यहां नहीं दे पा रहे उन सभी बेहद शुक्रिया अदा करते हैं।

इस विशेष अवसर को और बेहद स्मरणीय बना दिया ‘विनोद कुमार शुक्ल के मायने’ : रमेश अनुपम और आज की जनधारा के विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित चार पृष्ठिय परिशिष्ट ने जिसे हमारे प्रिय लेखकों, पाठकों और हमारे शुभचिंतकों को निःशुल्क वितरित किया गया।

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