November 21, 2024

कविता लिखने के लिए,
आज छुट्टी ले ली है,
दिन भर बिस्तर पर,
कविता – अविता चली,
बिस्तर में लेटकर,
मैदान में खेलता रहा,
फिर बेहूदा डांस,
उसी परदे पर देखा,
आज कविता के लिए,
किसी चैनल में जगह नहीं,
मां के बारे में कविता,
अभी लिखी नहीं है,
नदी का ऐसा है कि,
नदी अभी सूख गई है,
घर का मत पूछो,
वहां अभी मनहूसियत है,
पत्नी अभी बच्ची को,
कविता याद करा रही है,
प्रेमिका बिना प्रेम किए,
बहुत दूर बस गई है,
कविताएँ इधर-उधर,
डूबकर उतरा तो रहीं हैं,
पर गजब है कि कोई,
कविता हाथ नहीं आ रही है,
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जय प्रकाश पाण्डेय
416, जय नगर जबलपुर
9977318765

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