साहित्य मनुष्य को गढ़ता है – ललित कुमार, कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में तुलसी और प्रेमचंद जयंती का आयोजन
भिलाई। प्रारंभ में विद्यार्थियों की ओर से डॉ मणिमेखला शुक्ल के नेतृत्व में उर्वशी श्रीवास और कुछ आरती ने सरस्वती वंदना तथा तुलसीदास के भजनों का गान किया। अतिथियों का स्वागत डॉ सुधीर शर्मा, डॉ फिरोजा अली, डॉ अशोक तिवारी, डॉ मणिमेखला शुक्ल, पूजा विश्वकर्मा आदि ने किया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि तुलसीदास और प्रेमचंद का साहित्य जन जन का साहित्य है। काल और सीमाओं से परे जाकर उनका साहित्य सदियों तक जीवित रहेगा। मुख्य वक्ता शासकीय महाविद्यालय मचांदुर के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ अंबरीश त्रिपाठी ने कहा कि तुलसीदास के माध्यम से समूचा छत्तीसगढ़ राममय है। छत्तीसगढ़ का पुरातत्व, रामकथा, मानस मंडलियां आदि ने रामचरितमानस की लोक व्याप्ति की है। हमारा रामनामी संप्रदाय दुनिया भर में लोकप्रिय है। विशिष्ट वक्ता डॉ देशबंधु तिवारी ने कहा कि प्रेमचंद का युग बेड़ियों में बंधा युग था, गुलामी के अलावा भारत में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक समस्याएं विद्यमान था। प्रेमचंद का साहित्य वंचित मनुष्य से लेकर उपेक्षित नारी और गांव, खेत खलिहान का साहित्य था। एक अकेले ईदगाह कहानी अनेक वर्षों तक हामिद को जिंदा रखती हैं। एक आदर्श समाज की वे स्थापना करना चाहते थे।
मुख्य अतिथि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष ललित कुमार वर्मा ने कहा कि तुलसी और प्रेमचंद का साहित्य अच्छे मनुष्य को गढ़ता है। साहित्य आज की युवा पीढ़ी को साहस देता है, वह दुखी मनुष्य को जीने की राह बताता है। तुलसी के नायक ने अपने समय को पहचाना है। प्रेमचंद के नायक समाज के भीतर से उभरते हैं। तुलसी और प्रेमचंद दोनों का लक्ष्य एक आदर्श समाज की स्थापना थी। समारोह की अध्यक्षता कर रहे कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर पी अग्रवाल ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां आज भी पर प्रदर्शन करती हैं। एक श्रेष्ठ प्रबंधन तुलसी और प्रेमचंद दोनों के साहित्य में दिखाई देता है। समूचे भारत की विशेषताएं रामचरितमानस में हैं। नैतिक मूल्य, दया, करूणा, क्षमा, प्रेम और त्याग सब कुछ रामचरितमानस में है।
अंत में भजन और साहित्य आधारित नृत्य छात्राओं ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजन कुमार और आभार प्रकट डॉ फिरोजा जाफर अली ने किया। समारोह में प्राध्यापक डॉ कविता वर्मा, प्रो अनुराग पांडे यह, प्रो अरूणा चौबे सहित शोधकर्ता और स्नातकोत्तर विद्यार्थी उपस्थित हुए।
डॉ सुधीर शर्मा
अध्यक्ष हिंदी विभाग
9425358748