आह्वान गीत
ओ नौनिहालों अब लाज अपने वतन की,
तुम्हारे इन हाथों में है इसे तुम संम्हालोगे।
तुम्ही कर्मवीर तुम्ही बांके रणधीर,
कहीं होना न अधीर इस बात को न टालोगे।
तुम्ही पे है आस तोड़ना न विश्वास,
मेरे भारत के भाल का मुकुट तुम संम्हालोगे।
बन के भागीरथ बहा दो श्रम गंगा तुम ,
देश की समृद्धि फिर प्राणवान करदो।
भीष्म जैसे निष्ठावान त्यागी बनो,
मातृभूमि के लिए स्वयं का भी बलिदान कर दो।
देशद्रोहियों के शीश काट के तिलक करो।
आज मां के दूध को कलंक से बचाना है।
अपनी ये मातृ भूमि टुकड़ों में बटे नहीं,
भारत के सच्चे पूत का नाता निभाना है।
भेदभाव का ये बीज उगने न पाए कभी,
एकता के बिरवा को प्रेम से ही सींचना।
वाहे गुरु ,अल्ला और ओम एक ही का नाम,
सम्प्रदाय की ये रेखा मन मे न खींचना।
जागो जागो जागो अभी सोने का ये वक्त नही,
दूध का कटोरा छोड़ो झूलो नही पालना ।
कंस को पछाडो, दुःशाशन को मारो,
युद्ध भूमि में हुंकारों सिंह बन के ओ लालना।
सत्य के पुजारी अहिंसा के चक्रधारी बनो,
चहुँ ओर शांति की पताका फहरादो तुम।
चाचा नेहरू के सपनो को बगिया में खिलो,
बन के गुलाब सारा देश महका दो तुम।
दीप दुर्गवी