November 21, 2024

देख सजनी देख ऊपर।।
इंजनों सी दड़दड़ाती, बम सरीखी धड़धड़ाती
रेल जैसी जड़बड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।।
पंछियों सी फड़फड़ाती,पल्लवों को खड़खड़ाती।
कड़कड़ाती गड़गड़ाती, पड़पड़ाती, हड़बड़ाती भड़भड़ाती।।
बावरी सी बड़बड़ाती, शोर करती कड़कड़ाती
आ रही है मेघमाला।
देख सजनी देख ऊपर।।

वह पुरन्दर की परी सी घेर अम्बर और अन्दर ।
औरअन्दर कर चुकी है श्यामसुन्दर से स्वयंवर।।
खा चुकन्दर रीक्ष बन्दर सी कलंदर बन मछन्दर ।
हो धुरन्धर खून खंजर छोड़ अंजर और पंजर ।।
कर समुन्दर को दिगम्बर फिर बवण्डर सा उठाती,
आ रही है मेघमाला।
देख सजनी देख ऊपर।।

जाटनी सी कामिनी उद्दामिनी सद्दामिनी सी।
जामुनी सी यामिनी सी चाँदनी पंचाननी सी।।
ओढ़नी में मोरनी सम चोरनी इव चाशनी सी।
जीवनी में घोलती संजीवनी चलती बनी सी।।
तरजनी सी मटकनी कुछ कटखनी बातें बनाती,
आ रही है मेघमाला।
देख सजनी देख ऊपर।।

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
“वृत्तायन” 957 , स्कीम नं. 51 इन्दौर (म.प्र.) पिन-452006
मो.नं. 9424044284
6265196070
ईमेल- prankavi@gmail.com

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