सावन गीत
अंबर में जब बदली छायी,याद तुम्हारी आई।
टप -टप टपके सावन छत से, गीत सुना ना पाई।
घूम रहे आँगन में बादल,
जैसे कुछ घबराकर।
बूँदें आकर मुझे रिझाती,
निर्मल जल बरसाकर।
मेघों का सत्कार आज कर,सकल सृष्टि हर्षाई ।
अंबर में जब बदली छायी,याद तुम्हारी आई।
चपला गरजी बहुत जोर से,
तन -मन डर से कांपे।
काले मेघा अब बरसेंगे,
मनुज धरा से भांपे।
शीतल पवन करें मन मोहित,डाल- डाल इठलाई।
अंबर में जब बदली छायी,याद तुम्हारी आई।
बिंहँस -बिहँस खग नीड़ बनाए,
रसिया रसना घोलें।
तापस तनया बैठी निश्चल,
मन भोले का डोले।
हरियाली की चूनर ओढ़े,धरा वधू शरमाई।
अंबर में जब बदली छायी,याद तुम्हारी आई।
दादुर झींगुर मोर पपीहा,
सबके थिरके अंग।
विरहन बैठी आज सोचती,
पिया नहीं क्यों संग।
उड़ा कबूतर पाती लेकर,नैनन नींद उड़ाई।
अंबर में जब बदली छायी, याद तुम्हारी आई।
नवनीत कमल
जगदलपुर छत्तीसगढ़