53 वा प्रश्न खेल के मैदानों में जीतकर देश का नाम रौशन करने वालों से ऊर्जा प्रेरणा लेकर युवा जीवन के मैदान में भी जीतने का भाव ला पाएंगे।
प्रस्तुति : लायन विजय गुप्ता, पूर्व रीजन चेयरमैन
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खेल जीवन में हर घर से शुरू होकर शाला, महाविद्यालय, जिले से लेकर राज्य, राष्ट्र अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचते हैं। युग युग से खेल माध्यम द्वारा हमें परिवार से लेकर प्रत्येक स्तर पर भाईचारा, समन्वय, शांति, मित्रता, एकता का संदेश मिला है। स्पर्धा का स्वरूप बढ़ते हुए देश की शान और गौरव गाथा का वृहद स्थान लेती है।
वर्तमान में देश की क्रीड़ा जगत में युवाओं को आगे बढ़ने के बेहतर सुविधाजनक परिस्थितियों को निर्मित किया है। जिसके स्पष्ट सकारात्मक परिणाम मिले हैं। मेडल, पदक, सम्मान से देश के युवाओं में स्वतः भी प्रेरणा संचार होता है। गरीब से गरीब घर के युवा युवतियों को अपने खेल प्रदर्शन और स्पर्धाओं में आगे बढ़ने का वातावरण परिवार की ओर से मुहैया कराते हम सब देख रहे हैं। विजयी होने के बाद ऐसे विजेताओं की जीवन गाथा हम सभी सुनते और देखते हैं। ऐसे प्रसंग भी युवाओं को खेल जगत में बेहतर करते हुए समाज एवम देश में अपनी छवि निर्माण की भी उत्कंठा जागृत होती है।
इन सब अच्छाइयों और समझदारी के माहौल में एक दूसरा ज्वलंत प्रश्न भी सम्मुख खड़ा है। संस्कृति, अनुशासन,धरोहर, संस्कार भारत की रीढ़ बने हैं। इसलिए अभी तलक इनकी प्रभुता उपयोगिता के दर्शन होते हैं। परंतु समाज, परिवार का विखंडन,हर पैरेंट्स अब संयुक्त परिवार नहीं, वरन एकल परिवार के हिस्से बन रहे हैं। जहां प्रेरणा, प्रोत्साहन कमियों के साथ नव युवा शिकार होते है। टेक्नोलॉजी के वृहद विकास की वजह से दुष्प्रवृत्ति भी भूतकाल की अपेक्षा अब ज्यादा शिकार बनती है। विभिन्न खेलों के ऊपर बनी फिल्मों का सकारात्मक असर तो होता है, उससे ज्यादा स्पर्धा में जीतने के गलत विचारों और योजनाओं का असर ज्यादा होता है। प्राकृतिक स्वभाव बना है, कि बुराई मन के अंदर त्वरित प्रभाव डालने लगती है, और अच्छे संदेशों को आत्मसात करने की प्रवृत्ति कुछ कम मात्रा में और देर से ही प्रभावी बनती है।
फिल्मों को देखकर डॉन संस्कृति और
फूहड़ता के दृश्य पहले भी विद्यमान थे, परंतु बदलाव वाले युग में इजाफा हुआ है। मेरे विचार से फिल्मों के हीरो हिरोइन के फैशन, स्टाइल, बोलचाल अधिक क्रियान्वित होती है, बनिस्बत खेल मैदान के पदक वीरों से प्रेरित होने के। इस दिशा में पहल होनी चाहिए कि प्रत्येक खिलाड़ी का अपना स्थानीय क्षेत्र रहता है, उस क्षेत्र का समाज और शासन पदकवीरों के प्रेरणा प्रोत्साहन और चरित्र निर्माण के कार्यक्रमों को आयोजित करे। युवाओं के हृदय की चाल को देश निर्माण में अधिक गतिशील और बलवान बनने के बारे में लाभदायक सिद्ध होगा।