लघुकथाः योग्यता
कुछ दिन पूर्व कॉलोनी के मुख्य गेट पर विजित शर्मा के नाम का एक बड़ा सा सचित्र बैनर लगा था। बैनर देखकर एक पुरानी घटना याद आ गई। सामने वाले मकान से दो-तीन मकान छोड़कर एक मकान में पड़ोसी प्रीतम सिंह जी के पिताजी का देहांत हो गया। श्मशान घाट कोई दस-बारह किलोमीटर की दूरी पर होगा। मैंने अंत्येष्ठि पर जाने के लिए अपनी गाड़ी निकाली तो पड़ोसी रजत शर्मा ने पास आकर कहा, ‘‘वीरेंद्र जी अकेले चल रहे हो तो मेरे साथ ही चलो।’’ मैं न चाहते हुए भी प्रदूषण का ख़याल करके उनकी गाड़ी में बैठ गया। शर्मा जी ने एक अन्य पड़ोसी श्यामसुंदर को भी साथ ले लिया। यद्यपि एक बुज़ुर्ग व्यक्ति की मृत्यु हुई थी लेकिन जा तो श्मशान घाट ही रहे थे फिर भी रतज शर्मा और श्यामसुंदर पूरे रास्ते खाने-पीने की बातें करते रहे। किस होटल या रेस्टोरेंट में खाना अच्छा मिलता है और किस में नहीं। किस होटल या रेस्टोरेंट की कौन सी रैसिपी अच्छी है और कौन सी ख़राब। कहाँ के स्नैक्स अच्छे हैं और कहाँ का ऐम्बिअंस अच्छा है। श्यामसुंदर ने कहा, ‘‘वीरेंद्र जी आप तो कुछ बोल ही नहीं रहे? आपको किन-किन होटलों का खाना पसंद है?’’ मैंने संक्षिप्त सा जवाब दिया कि हमें तो घर का खाना ही पसंद है और हम आम तौर पर किसी होटल-वोटल में खाना खाने जाते ही नहीं। इस पर दोनों ने हैरानी जताई, ‘‘ आप फैमिली या दोस्तों के साथ सचमुच कहीं भी बाहर खाना खाने नहीं जाते?’’
थोड़ी देर बार रजत शर्मा ने बतलाया कि उनका लड़का और उसकी मित्र-मंडली बड़ी शैतान हो गई है। ‘‘कैसे?’’ श्यामसुंदर के ये पूछने पर रजत शर्मा ने बतलाया कि ये लड़के किसी पीसीओ से किसी रेस्टोरेंट को फोन करके खाना मँगवा लेते हैं। पता दे देते हैं किसी खाली पड़े ऊपर की मंज़िल के फ़्लैट का। फिर कोई एक लड़का उस फ़्लैट के नीचे आकर खड़ा हो जाता है। जैसे ही डिलीवरी मैन खाना लेकर पहुँचता है वो उससे खाना ले लेता है और ये कहकर कि ऊपर जाकर पैसे ला रहा है जीने से चढ़कर पीछे के फ़्लैटों के जीने से ग़ायब हो जाता है। फिर सारे लड़के मिलकर दावत उड़ाते हैं। ‘‘सचमुच बड़े तेज़ हो गए हैं आजकल के लड़के, ’’ किंचित गर्वपूर्वक ये किस्सा बयान करके रजत शर्मा ने ज़ोर का ठहाका लगाया। श्यामसुंदर भी उसके ठहाके की आवाज़ में अपने ठहाके की आवाज़ मिला देता है लेकिन मुझे नहीं लगा कि बच्चों की इस प्रकार की तेज़ी के लिए ठहाके लगाने जैसी कोई बात है वो भी एक पिता के लिए। कॉलोनी के गेट पर लगा बैनर देखकर ये पुरानी घटना याद आ गई। ये विजित शर्मा इन्हीं रजत शर्मा जी के इकलौते पुत्र हैं जिन्हें एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के ब्लॉक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और बैनर में पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं के साथ उसका चित्र छपा था।
सीताराम गुप्ता,
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