तन्हा रात
स्वाति सरकारी स्कूल में विज्ञान की टीचर थीं ।जैसे ही सुबह स्कूल पहुंची ,उसे खबर मिली कि प्रिंसिपल मेडम अस्पताल में एडमिट है ।कल रात को उनका एक्सीडेंट हो गया था।स्टाक के कुछ लोग उन्हें देखकर आ चुके थें ,उन्होंने ही बताया था ।वह काफी सीरियस है ।कुछ टीचरों ने तय किया कि वह स्कूल की छुट्टी होने के बाद ही अस्पताल जायेगी ।अस्पताल जाकर देखा तो प्रिंसिपल मेडम ICU वार्ड में है ।वह लोग थोड़ी देर रुककर वापिस आ गई थीं ।सबको आश्चर्य हो रहा था कि ,मेडम के घर से कोई नही आया था।जिसमें मेडम के घर में सभी लोग थे।सिर्फ़ उनके पति नही थें ,बाकि सब थे।
तीसरे दिन स्वाति अकेली ही मेडम को देखने गईं ,तो देखा मेडम के दो बेटे आये हुये है ,स्वाति ने राहत की सांस ली ।चलो कोई तो आया जिसे देखकर मेडम को अच्छा लगेगा ।यहाँ तक स्वाति को मालूम था कि मेडम का भरा पूरा परिवार है ।वह स्कूल की छुटियों में काफी सामान लेकर अपने घर जाती थीं ।स्वाति ने मेडम के बेटों से कहा-सर आपको कोई तकलीफ हो या कोई सामान की जरुरत हो तो आप मुझे बता सकते है ।मेरा घर अस्पताल के पास ही है और मैं मेडम के स्कूल में ही पढा़ती हूँ। इतना कहकर स्वाति घर आ गई ।स्वाति अब रोज ही मेडम के बेटों के लिये खाना ले जाने लगीं ।मेडम के बेटे भी स्वाति को दीदी कहने लगे थें।आज स्वाति खाना लेकर अस्पताल आई तो देखा मेडम के बेटे नर्स को डांट रहे थें।स्वाति ने कारण जानना चाहा तो ,बडे़ बेटे ने कहा- मां को आज होश आया तो ,डाक्टर ने कहा – अगर वह जूस पीना चाहे तो जूस पिला दो।हमने जूस दिया ,तो जूस मां के कपड़ों में थोड़ा सा गिर गया।हम काफी देर से नर्स को कह रहे है मां के कपड़े चेंज कर दो ।लेकिन नर्स नही आ रहीं है ।मां हमसे कपड़े चेंज नही करवा रहीं है ।स्वाति ने कहा ,कोई बात नहीं ,मैं मेडम के कपड़े चेंज कर दूंगी ।लेकिन आप दोनों में से किसी एक की पत्नी को बुला लीजिए ।स्वाति, मेडम के कपड़े चेंज करने के बाद घर जाने लगी तो, मेडम के बडे़ बेटे ने कहा – दीदी आपने कहा कि घर से हम किसी औरत को बुला ले।लेकिन घर से कोई आना नही चाहता ।हमारी मां है इसलिए हम आ गये ।औरतें तो क्या ,कोई बच्चा भी यहां आना नही चाहता।हमारी मां का स्वभाव ही कुछ ऐसा हैं ।सब के ऊपर अपनी हूकुमत चलाती है ।वह सोचती है कि वह पैसों से सब खरीद सकती हैं ।बच्चों पर या घर की औरतों पर पैसे खर्च करतीं है तो दस बार उन्हें कह कर सुनातीं है कि मैं तुम्हारे ऊपर इतना पैसा खर्च करतीं हूँ, तो तुम्हें मेरे हिसाब से रहना चाहिये ।जैसा मैं कहूं वैसा करो ।दीदी, जब मां घर में आती है तो घर में दहशत का माहौल रहता है ।मां को तो कुछ कह नही सकते ,इसलिए घर के लोगों को ही समझा देते है कि जैसा मां कहें वैसा ही सब करे क्योंकि इनकी तनख्वाह से ही हमारा घर चलता है ।पिता जी ने हमें ज्यादा पढ़ने लिखने नही दिया ।
मां को पढ़ने का शौक था।इसलिए वह नाना जी के पास रहकर पढा़ई करती रहीं और उन्होंने गांव भी छोड़ दिया था ।पिताजी ने हमें अपने पास ही रख लिया और हम उनके साथ खेती के काम में हाथ बांटते थे। थोड़ी – बहुत पढा़ई की है ।वह तो पिताजी की मृत्यु के बाद मां ने घर आना शुरु किया है ।घर का सारा खर्च वही करती है ।हमारी खेती से ज्यादा कमाई नही होती ।दोनों बेटों की बात सुनकर स्वाति ने कहा ,कोई बात नही मैं स्कूल से छुट्टी ले लेती हूँ ।मैं मेडम के पास रुक जाया करुँगी ।
आज मेडम की छुट्टी हो गई थीं ।वह अपने घर वापिस आ गईं थी ।उनके आने से पहले उनकी नौकरानी ने उनका कमरा पूरा व्यवस्थित कर दिया ।मेडम ने घर आकर अपना कमरा देखा तो नौकरानी को बुलाया ,नौकरानी डर के मारे कांपने लगी ,उसे लगा कि आज तो उसकी नौकरी गईं।लेकिन आज मेडम ने उसे सौ रूपये का नोट हाथ में रखा और कहा कि आज वह, बहुत खुश है ।मेडम अब अपने गाँव जाना चाहती थीं ।इसलिए दोनों बेटे उन्हें अपने साथ गांव लेकर गये ।गांव पहुंची तो घर के सभी लोगों ने मां के पैर छुए ।मां ने सभी को सौ -सौ रुपये दिये और अपनी बहुओं के पसन्द का खाना बनवाया और कहा,आज से सभी साथ में खाना खायेगें ।मां के इस बदले व्यवहार से सभी चकित थें ।कल तक जो किसी से ढंग से बात नही करती थीं।आज वह सबसे खूब बातें करती हैं।आसपास के घरों में जाकर लोगों के हाल जानती और जरुरतमंद को उनके हिसाब से रुपये -पैसें देतीं ।बच्चों को कहानियां सुनाती।इस बार तो बच्चे भी दादी के पास ही मस्ती करते- करते सो जाते ।जिस घर में दादी के आने से कर्फ्यू लग जाता था ,आज उस घर में हंसी के ठहाकों की गूंज सुनाई देने लगीं है ।सभी लोग दादी को घेरे रहते।दादी भी अपने कालेज के किस्से सुनाती रहतीं।आज दादी शहर वापिस जा रही थीं ।सभी दादी को नम आँखो से विदाई दे रहे थे ।पहले दादी शहर वापिस आती थीं तो आप पास वाले कोई मिलने तक नही आता था ।लेकिन आज तो सभी की आँखे भीग रही थीं ।बच्चे भी दादी मत जाओ, मत जाओ की रट लगा रहे थें ।
कालेज पहुंच कर, प्रिंसिपल मेडम सबसे बडी़ गर्मजोशी से मिली ।सभी छात्राओं के हाल पूछे ।सभी लोग मेडम के बदले स्वभाव से आश्चर्य चकित हो रहे थे ।लग ही नही रहा था ये पहले वाली प्रिंसिपल मेडम है ।आज मेडम रिटायर हो रही थीं ।उनकी विदाई समारोह का आयोजन हो रहा था ।मेडम ने अपने भाषण में कहा- मुझे मालूम है कि आप सबको आश्चर्य हो रहा होगा कि मेरे स्वभाव में ये बदलाव कैसा आया तो सुनो ,मेरे स्वभाव को बदलने का श्रेय मेरा एक्सीडैंट और स्वाति की सेवा को जाता है ।जब मेरा एक्सीडैंट हुआ और मुझे होश आया तो मैनें अपने बेटों की और स्वाति की बातें सुनी ।मैं सोचती थीं कि मैं पैसों से सबको खरीद सकती हूँ।लेकिन ये मेरा वहम था।मेरे पास लाखों की धन दौलत है।लेकिन फिर भी मै अपने !स्वभाव और घमंड के कारण अस्पताल में अकेली पडी़ रहती थीं ।तन्हा रातें काटती थीं ।कोई मुझे देखने तक नही आता था ।एक स्वाति थीं ,जिससे मैनें कभी सीधे मुँह बात तक नही की ,वह मेरे बच्चों को खाना खिलाती थीं और मेरी सेवा भी करती थीं ।तभी मैनें सोच लिया था कि मैं अब अपने आप को पूरी तरह बदल दूंगी ।जो व्यक्ति मेरे स्वभाव के कारण मुझसे दूर हो गये थें ।मै अपने स्वभाव के कारण ही उन्हें वापिस अपने पास बुला लूँगी ।आज मैं सफल हो गई ।मैं इस संसार में खाली हाथ आई थीं ।लेकिन मै यहाँ से आप ,सभी का प्यार स्नेह अपने साथ लेकर जाऊंगी ।वह भाषण दे ही रहीं थीं कि उन्हें चक्कर आया और वह चेयर पर बैठ गई ।सभी उनकी हथेली मसल रहे थे ।लेकिन वह इस दुनिया से जा चुकी थीं ।सभी का रो -रोकर बुरा हाल था।मेडम ने अपने मकान को गरीब लड़कियों के लिये होस्टल के रुप में देने की बात अपनी वसीयत में लिखी और अपनी सारी जायजाद अपनी दोनों बहुओं के नाम की ।मेडम की अंतिम यात्रा में आज बच्चा -बच्चा रो रहा था।सही कहा था मेडम ने , आज वह अपने साथ लोगों की दुआऐं लेकर जा रही थीं …..
रेणु फ्रांसिस
(इंदौर )