November 23, 2024

अबला तेरी यही कहानी,
खटना, पिटना, कटना,
आँचल में है दूध, और
आँखों में पानी।

कवि को इस
हक़ीक़त से परे,
नारी की किसी हसरत
पर लिखना न सूझा?

आँखों में खून उतर आने
की कल्पना भी नहीं की गई ?

काली तो इस कविता के
बहुत पहले से
कटा सिर थामे खड़ी थी !

-सुनील
19 नवम्बर 2022

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