अबला तेरी यही कहानी,
खटना, पिटना, कटना,
आँचल में है दूध, और
आँखों में पानी।
कवि को इस
हक़ीक़त से परे,
नारी की किसी हसरत
पर लिखना न सूझा?
आँखों में खून उतर आने
की कल्पना भी नहीं की गई ?
काली तो इस कविता के
बहुत पहले से
कटा सिर थामे खड़ी थी !
-सुनील
19 नवम्बर 2022