November 21, 2024

मैंने तुझे ज़मीं से फ़लक तक उठा दिया
तूने नज़र से भी मुझे अपनी गिरा दिया

बदनाम हो न जाए मुहब्बत की बेबसी
हर राज़ मैंने दिल की तहों में छुपा दिया

उफ़! फिर भी रोशनी न तिरी दिल से मिट सकी
यादों के तेरी सारे दियों को बुझा दिया

फिर एक शक्ल ज़ख़्म की सूरत हुई अयाँ
फिर तेरे कुछ ख़्यालों ने मुझको रुला दिया

मैं तुझसे मिलके हो गयी वाकिफ़ जहान से
जीने का तूने मुझको तरीक़ा सिखा दिया

संतोष श्रीवास्तव

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