मुझे नहीं पता कि आप उस बिरादरी से वास्ता रखते हैं या नहीं जो अंडर गारमेंट्स के रंग को किसी धर्म के रंग से जोड़ लेते हैं..
मुझे नहीं पता कि आप उस बिरादरी से वास्ता रखते हैं या नहीं जो अंडर गारमेंट्स के रंग को किसी धर्म के रंग से जोड़ लेते हैं..
पर मैं करीब-करीब दावा करता हूं कि सैफरॉन या ग्रीन कलर के इनर वियर खरीद रही किसी लड़की ने आज तक नहीं सोचा होगा कि वह हिंदू या मुस्लिम धर्म के इनर वियर को खरीद रही है। पर जब कचरा फैलता है तो चहुओर फैलता है। ये कचरे का युग है।
पठान फिल्म के इस गाने की आलोचना इसलिए नहीं की जानी चाहिए कि दीपिका पादुकोन ने सैफरॉन रंग के इनर वियर पहन रखे हैं। इस बात के लिए भी नहीं की नहीं जानी चाहिए कि उस फिल्म का नाम का नाम पठान है। इस गाने की आलोचना इस बात के लिए की जानी चाहिए थी कि वह गाना सस्ता है। वल्गर है। जिस स्तर की कलाकार दीपिका पादुकोन हैं उससे निचले स्तर का है। फिर भले ही इस फिल्म का नाम पठान ना होकर पंडित जी या ठाकुर साहब क्यों ना होता। फिर क्यों ना दीपिका के इनर वियर का रंग पीला, हरा, गुलाबी, बैंगनी, कत्थई, काला, सफेद कुछ भी होता।
आप इन गाने के स्टेप दीखिए। दीपका पादुकोन के मूव्स देखिए। फिर गाने की आवाज बंद कर दीजिए और दीपिका की जगह 36 डी साइज वक्षों से युक्त एक थुलथुल बदन वाली भोजपुरी एक्ट्रेस को डाल दीजिए। यकीन मानिए उस घटिया सी ग्रेड भोजपुरी गाने और पठान के इस गाने में कोई अंतर नहीं।
एक अश्लील भोजपुरी गाने के डांस स्टेप और पहनावा करीब-करीब यही होता है। फर्क बस इतना होता है कि उनके पास इस स्तर के कोरियाग्राफर नहीं होते। उनकी फिल्मों के गाने कोई मंहगा सेलिब्रेटी टाइप सिंगर नहीं गा रहा होता है। कपड़े मनीष मेल्होत्रा के ना होकर किसी बी ग्रेड शहर की दुकान के होते हैं और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोन ना होकर एक आम लड़की होती है जिसकी प्रियारिटी में बॉडी शेपिंग नहीं होती।
इन गाने से इसके अल्फाज और म्यूजिक छीन लिया जाए तो यह गाना “चोली में घुस गया सांप” या “होली में गीली कर दी ब्लाउज” से एक स्तर ऊपर का नहीं है। आश्चर्य यह होता है कि यह गाना बॉलीवुड के किसी सो कॉल्ड आइटम गर्ल पर नहीं पीकू, छपाक, तमाशा जैसी फिल्मों में एक्टिंग करने वाली दीपिका ने किया है।
तो इस गाने की आलोचना कीजिए पर इनर वियर के रंग से ऊपर उठकर।