November 22, 2024

अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य परिषद की यादगार काव्य संध्या

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साहित्य – कला- संस्कृति ♦ फोटो एवं प्रस्तुति : सिद्धेश्वर
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“दिल का बोझ न बढ़ जाए,हम अरमान कम रखते हैं !”
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♦ पटना ! साहित्य का संवर्धन साहित्यिक गोष्ठियों से ही संभव है l आजकल पटना शहर में साहित्यिक गोष्ठियों की धूम मची हुई है l स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की संस्थाएं, साहित्यकारों के आवास से लेकर होटलों तक धूम मचाई हुई है l ऐसी गोष्ठियों में अपनी श्रेष्ठ रचनाओं को प्रस्तुत करने की दिलचस्पी बनी रहती है, और कुछ बेहतर लिखने की प्रेरणा भी मिलती है l ऐसे ही एक भव्य काव्य गोष्ठी, युवा कवयित्री रश्मि गुप्ता के संयोजन और अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ” हिन्दी साहित्य परिषद “( बिहार इकाई ) के तत्वाधान में, पटना के होटल विंडसर में किया गया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन और स्नेहा रॉय की सरस्वती वंदना से हुई l मुख्य अतिथि एवं परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शुक्ल ने परिषद के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि – हिन्दी भाषा एवं साहित्य का राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय पटल पर प्रचार तथा प्रसार करना परिषद का मुख्य उद्देश्य है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ कासिम खुर्शीद ने काव्य गोष्ठी के दौरान अपनी गजल में कहा-” चेहरे की पहचान कहां है ?,लेकिन ये आसान कहां है /” तो दूसरी तरफ विशिष्ट अतिथि भावना शेखर ने अपनी समकालीन कविता के जबरदस्त प्रस्तुति दी – ” लहू से पटी ज़मीं पर तलाशुंगी मैं /पेड़ से झड़े लुकाट के पीले गुच्छे ! “वहीं मुकेश प्रत्यूष नेअपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा- ” हाशिए पर ही दिए जाते हैं अंक/परिणाम तय करता है/ हाशिया !
विशिष्ट अतिथि शायर आशीष वर्मा (आइ.ए. एस )ने अपनी गजल अपने अंदाज में प्रस्तुत किया- ” दिल का बोझ न बढ़ जाए, हम अरमान कम रखते हैं।/किराए का मकान है, इसलिए सामान कम रखते हैं !” सुनाकर कार्यक्रम की रौनक बढ़ायी एवं सभी कवि श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।अतिथि शायर प्रेम किरण ने अपनी ग़ज़ल में कहा- ” आबाद उसके नाम पे दुकान है बहुत/ किस पर यकीन कीजिये, भगवान है बहुत ! तो दूसरी तरफ सिद्धेश्वर ने अपने अंदाज में ने कहा – इंसान को पहले इंसान होना चाहिए!/ फिर कोई धर्म या ईमान होना चाहिए ! / मिटा सके दिल से ईर्ष्या, द्वेष, नफरत / पूजने के लिए ऐसा भगवान होना चाहिए !”
स्नेहा रॉय ने अपनी अंदाज ए बयां में कहा – शोला सा था /कोई दुनियाँ जला । ” तो राजीव नन्दन मिश्र ने अपनी कविता में कहा – परम् द्रष्टव्य देवा है, सकल कर्मो के मेवा है। सदा रक्षक पिता होते, सुचिर कर्तव्य सेवा है ! मधुरेश नारायण ने मधुर स्वर में गीत प्रस्तुत किया-किसी को याद आऊँ बन कर एक सपना /
कोई तो हो जो कह सके मुझे अपना।” अमलेन्दु अस्थाना की कविता भी लाजवाब थी – जब आंखों से छलकी यादों की बूंदों में मां का चेहरा उभर आया !”
समीर परिमल की अंदाज ए बयां देखिए – खून रिश्तों का बहाने को जुबां काफी है !” इन कवियों के अतिरिक्त , रश्मि गुप्ता,राजीव नंदन मिश्र,जीनत शेख, पूनम श्रेयसी,लता परासर, अभिलाषा, कुमारी, स्मृति कुमकुम,अमृता सिन्हा, रवि किशन, चंद्रबिन्द सिंह ,सुनील कुमार, शबाना इसरत,दीपक गुप्ता, दीप राज एवं अन्य उपस्थित कवियों ने अपनी कविताओं से समा बांध दिया। इस यादगार काव्य संध्या की सशक्त संचालन किया रश्मि गुप्ता ने और सभी अतिथियों को सम्मानित करते हुए, धन्यवाद ज्ञापन परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शुक्ल ने किया !
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[] प्रस्तुति एवं फोटो : सिद्धेश्वर (मोबाइल 92347 60365 )
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🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐🏐♦कोलकाता की साहित्यिक संस्था ” हिंदी साहित्य परिषद ” के तत्वाधान में, पटना के होटल विंडसर में आयोजित एक सारस्वत काव्य संध्या में शिरकत करते हुए, नगर के प्रतिनिधिकवियों के साथ मंच पर काव्य पाठ करते हुए सिद्धेश्वर ///// जिसका जीवंत संचालन किया, युवा कवयित्री रश्मि गुप्ता ने। मंच पर कासिम खुर्शीद, प्रेम किरण, मुकेश प्रत्युष, भावना शेखर, समीर परिमल, मधुरेश नारायण, पूनम श्रेयसी,अमृता सिंह, आदि अथितिगण ( अगले दिन विस्तृत रिपोर्ट)/// फोटो प्रस्तुति : सिद्धेश्वर

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