हर शख्स में
हर शख्स में
तुझको तलाश किया
किसी की बातों में
तुम मिल जाते
किसी के शब्दों की
शक्ल में
तुम नज़र आते
तो किसी के #अंदाज़ में
तुम्हारी
आदत नज़र आती….
किस किस का नाम लूं
हर किसी में तुम ही तुम
नज़र आते
मगर पूरा कोई एक शख्स
ऐसा न मिला
जो #तुम” हो जाता
तुम क्यूँ ना मिले
और कोई “तुम” क्यूँ न हुवा…?
क्यूँ तुमने मेरी कल्पना की
उपजाऊ भूमि में जन्म लेकर
मेरे #दिल की गहरी नदी में
अपनी प्रेम की नौका चलाई
और मेरे मांझी बने
मैने तुम्हें हक़ीक़त की
इस धरा पर जीना चाहा
मगर वो,
दिल, जज़्बात , रुह से वंचित
बंजर निकली
तुम्हें हर किसी में होने का
खयाल सिर्फ़ एक भ्रम था
तुम कहीं न थे…तुम कहीं भी न थे ।
-भारती कश्यप