डा. नीलिमा मिश्रा की कविताएं
बेटी
मैं बेटी बहुत दुलारी हूँ ।
मैं सारे घर को प्यारी हूँ ।।
मैं परी पिता के आँगन की।
मैं महकी केसर क्यारी हूँ ।।
मैं पायल की रुनझुन जैसी।
मैं सप्त सुरों पर भारी हूँ ।।
मैं हूँ गुलाब चम्पा जूही।
मैं सुंदर सी फुलवारी हूँ ।।
मैं आसमान छूना चाहूँ ।
मैं भेदभाव की मारी हूँ ।।
मैं राजनीति का हूँ चौसर ।
मैं द्रुपद सुता बेचारी हूँ ।।
मैं हर ताले की हूँ चाभी ।
मैं छूरी और कटारी हूँ ।।
मैं शीतल गंगा हूँ निर्मल।
मैं सागर से भी खारी हूँ ।।
मैं गोकुल में दधि बेच रही।
मैं कान्हा की छवि न्यारी हूँ ।।
मैं सीता हूँ रामायण की।
मैं लव-कुश की महतारी हूँ ।।
मैं अग्नि परीक्षा दे देती ।
मैं दुनिया से कब हारी हूँ ।।
मैं रानी लक्ष्मी की वंशज।
मैं दुर्गा सी अवतारी हूँ ।।
मैं भारतीयता में डूबी।
मैं तो भारत की नारी हूँ ।।
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माँ
माँ शक्ति का भंडार है ।
माँ प्रेम की रसधार है ।।
माँ सृष्टि का विस्तार है ।
माँ रूप है श्रृंगार है ।।
माँ आदि है माँ अंत है।
माँ पुष्प है रसवंत है ।।
माँ ज्योति है माँ दीप है ।
माँ मौक्तिका माँ सीप है ।।
माँ ज्ञान का विस्तार है ।
माँ प्रेम की रसधार है ।।
माँ छाँव है माँ गाँव है ।
माँ ठौर है माँ ठाँव है ।।
माँ प्रीत है अनुराग है ।
माँ गीत है माँ राग है ।।
माँ शब्द है ओंकार है ।
माँ प्रेम की रसधार है ।।
माँ हास है परिहास है ।
माँ पास है विश्वास है ।।
माँ चंद्र है नक्षत्र है ।
माँ सौर है माँ मित्र है ।।
माँ गंग पावन धार है ।
माँ प्रेम की रसधार है ।।
डा० नीलिमा मिश्रा
प्रयागराज