ईद मुबारक
ये असर होता है दुआओं में
ज़र्रे ज़र्रे में तेरी रहमत है
नूर ही नूर है जहाँ तू है
अपने दिल में ही झाँक लेती हूँ
मुझको मालूम है कहाँ तू है
आरती
दुआओं के इस मौसम में प्रतिष्ठित व लोकप्रिय शायर सुभाष पाठक ‘ज़िया’ जी द्वारा संपादित एक अनूठा ग़ज़ल संकलन ‘ये असर होता है दुआओं में ‘ आज ही प्राप्त हुआ। इस विशेष संग्रह में वरिष्ठ और युवा, कुल 58 ग़ज़लकार शामिल हैं जिनकी ग़ज़लें ईश्वरीय इबादत हैं। पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर उनका यह शेर ईश्वर के प्रति उनकी आस्था, समर्पण एवं अनुभव की बात करता है।
धूप ढल जाती है घटाओं में
ये असर होता है दुआओं में
सुभाष पाठक ‘ ज़िया ‘
इस संग्रह के संपादकीय में वह लिखते हैं –
“कहते हैं इबादत की कोई ज़ुबान नहीं होती और मौन प्रार्थनाएँ अक्सर सुनी जाती हैं। यह दिल से निकली वो आवाज़ें हैं जो सीधे अपने ईश्वर से संवाद करती हैं। ये वो दुआएं हैं जिनमें ईश्वर के प्रति आभार के साथ स्वयं के लिए सद्विचार, आत्मशक्ति का विकास, लोकहित की कामनाएं निहित होती हैं।” कुछ शेर देखें –
बेशऊरों को अता कर दे तू इतना तो शऊर
जिससे आ जाये हमें लफ़्ज़ रखना अल्लाह
इशरत ग्वालियरी
गर दिए इम्तिहां मुझे मौला
हिम्मतो- हौसला भी दे मुझको
नलिनी विभा ‘नाज़िली’
न कोई हो मुफ़लिस न कोई हो भूखा
मिले सबको पानी हवा चाहती हूँ
ग़ज़ाला तबस्सुम
..”हम इस तिलिस्मी दुनिया में सिर्फ़ ख़्वाबों के पीछे भागते जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि हमें एक दिन यहाँ से कूच भी करना है जहाँ हमारी नेकियाँ ही हमारे साथ जाएंगी।” कुछ शेर देखें –
ये अनासिर से बना तन का मकां कुछ भी नहीं
चार दिन का खेल है उमरे -रवाँ कुछ भी नहीं
नलिनी विभा ‘नाज़िली’
मांग रहा है देने वाला साँसों का हर एक हिसाब
‘प्रेमकिरण’ जी कहिए आख़िर ख़र्चे में दिखलायें क्या
प्रेमकिरण
वे आगे कहते हैं कि ” सभी धर्मों में एक ही ईश्वर की बात कही गयी है। उसी सर्वशक्तिमान सत्ता ने इस पूरे संसार को रचा है और उसी की कृपा से सभी कार्य सम्भव हो पाते हैं। सभी ग्रन्थों में उसकी महिमा का बखान मिलता है और उसे ही सभी प्रकार के ज्ञान का आधार माना गया है। ये ग्रन्थ हमारी ज़िंदगी के पथप्रदर्शक हैं जिनमें हमारी उलझनों का हल मिलता है।” कुछ शेर देखें –
ज्ञान का स्रोत भी तू और तू ही सार भी है
सारे वेदों का पुराणों का तू आधार रहा
नवीन जोशी ‘नवा’
अगर दुविधा है कोई आपके जीवन में तो पढ़िये
सभी का हल मिलेगा आपको तुलसी के मानस में
अनुज ‘अब्र’
बशर को ढाई आखर का अगर सद्ज्ञान हो जाये
वही गुरुग्रंथ गीता बाइबिल क़ुरआन हो जाये
शेषधर तिवारी
सुभाष जी को इस विशेष संग्रह के संपादन के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। इसमें मेरी दो ग़ज़लों को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
आरती कुमारी