आज के कवि
मां के बारे में क्या लिखूं…
तेज धूप में घनी छांव सी
सर्दी में ठिठुरते तन को
रुई की नरम रजाई सी
जिसकी गोद में रखकर सर
पल भर में मिट जाते सारे दर्द
तन्हाई में सखी सहेली सी
अबूझ, किसी पहेली सी
चुटकी में हर मुश्किल को
कर देतीं आसान
मां जिस घर में होती हैं
वह घर स्वर्ग समान!
राधा श्रोत्रिय”आशा”
(मम्मी की गोद में मैं)