November 24, 2024

युद्ध का बिगुल या,
शांति का दान।
अंतर नहीं समझते,
हम निरा मूर्ख इंसान।

युद्ध की विभीषिका,
बना रही श्मशान।
शांति की निर्मल धारा,
भरती है नव प्राण।

असीम शांति हृदय धारो,
युद्ध का एकमात्र निदान।
समस्या का हल युद्ध नहीं,
अहिंसा से उत्तम न कोई ज्ञान।

सृष्टि के लिए युद्ध क्रूर अभिशाप,
क्षमादान ही शांति रूप महान।
मानवता का नाश न हो,
हम करें प्रेम और सम्मान।
डॉ कविता सिंह’प्रभा’©️
Photo from Google

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *