बल्ली सिंह चीमा की कविता
बल्ली सिंह चीमा एक ऐसे गीतकार जो खेतों में गीत गाते हैं । 2 सितम्बर 1952 को चीमाखुर्द अमृतसर में जन्में चीमा तीसरी कक्षा पास कर उत्तराखंड के काशीपुर आ गए । नदी में आई बाढ़ ने उनकी जमीन छीन ली और बी ए के पहले साल उनकी पढ़ाई छूट गई । उन्होंने खेती को पेशा बनाया लेकिन कविताओं से प्रेम बना रहा । चीमा अतुकांत कविताओं से दूर भागते हैं।उनके मुताबिक वह कविता कैसी जो गाई न जा सके ।
उनके संग्रह हैं – खामोशी के ख़िलाफ़, ज़मीन से उठती आवाज़ और तय करो किस ओर हो ।
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धूप से सर्दियों में ख़फ़ा कौन है ?
उन दरख़्तों के नीचे खड़ा कौन है ?
बह रही हो जहाँ कूलरों की हवा,
पीपलों को वहाँ पूछता कौन है ?
तेरी जुल्फ़ों तले बैठकर यूँ लगा,
अब दरख़्तों तले बैठता कौन है ?
आप जैसा हँसी हमसफ़र हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन है ?
रात कैसे कटी और कहाँ पर कटी,
अजनबी शहर में पूछता कौन है ?
आप भी बावफ़ा ’बल्ली’ भी बेगुनाह,
सारे किस्से में फिर बेगुनाह कौन है ?
बल्ली सिंह चीमा