यूं ही
रात जागा पाखी खुश होकर मौन बैठा है क्या करे ” गूंगा केरी सरकरा खाए औ मुस्काए ” चलिए मैं ही कुछ लिखने की कोशिश करती हूं ।
27 अगस्त 2023 अपरान्ह तीन बजे आशीर्वाद भवन पद्मनाभपुर में तुलसी जयंती आयोजित हुई । प्रारंभिक औपचारिकता पूरी होने के बाद प्रथम उद्घोषक अरुण कुमार निगम ने दुर्ग जिला साहित्य समिति दुर्ग के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस समिति की स्थापना 97 साल पहले 1927 में हुई थी , अखबारों की कतरनें देखकर अनुमान होता है तुलसी जयंती के दिन ही स्थापना हुई होगी । उनके आमंत्रण पर मंचस्थ हुए मुख्य वक्ता डॉ .सुधीर शर्मा हिंदी विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर कल्याण महाविद्यालय ने कहा ” हम लोग तुलसी दास , मीरा , महादेवी वर्मा , प्रेमचंद कहते हैं इनके नाम के आगे या पीछे किसी विशेषण की जरूरत महसूस नहीं करते क्यों ? वो इसलिए कि ये हमारे नितांत आत्मीय जन हैं तो दूसरी बात कि ये सब स्वनामधन्य हैं ।
तुलसी का रामचरित मानस प्राणिमात्र के प्रति स्नेह सम्मान करना सिखाता है । ”
द्वितीय उद्घोषक शाद बिलासपुरी ने कहा तुलसी की लोकप्रियता का आलम देखिए कि एक इस्लाम धर्मी उद्घोषक आपके सामने है , याद कीजिये न ” सीय राम मय सब जग जानी , करउं प्रणाम जोरि जग पानी ।” उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ . देवकुमार मण्डरीक को वक्तव्य हेतु सादर आमंत्रित किया ।
डॉ . मण्डरीक ने तुलसी दास को गांव की चौपालों का कवि कहा क्योंकि रामचरित मानस आज भी हिंदी भाषी क्षेत्रों के गांवों में लोकप्रिय , आदर्श धर्मग्रन्थ के रुप में प्रतिष्ठित है , निरक्षरजन भी तुलसी दास के दोहों , चौपाइयों को उद्धृत करते हैं ” का बरसा जब कृषि सुखाने ” ।
अभिवादन का बहुप्रचलित शब्द युग्म है ” राम राम ” ।
सरला शर्मा ने तुलसी दास के समन्वयवाद पर बोलते हुए स्मरण किया कि सोलहवीं शताब्दी भाषा परिवर्तन का युग था संस्कृत भाषा विदा मांग रही थी , बृज भाषा में प्रचुर काव्य रचना की जा रही थी तो आंचलिक भाषा अवधी को प्रतिष्ठित करने में लगे हुए थे तुलसी दास …।
रामचरित मानस के प्रत्येक कांड की शुरुआत संस्कृत से होती है । रामचरित मानस , रामलला नहछू , पार्वती मंगल अवधी में लिखे गए हैं तो कवितावली , दोहावली , विनयपत्रिका बृज भाषा में लिखी गई है ।
सुर , संगीत ,साहित्य का संगम ही तो किसी आयोजन को सफल बनाता है इसलिए आशा झा ने श्री रामचंद्र कृपालु भज मन प्रस्तुत किया , शम्भू अग्रवाल ने भय प्रगट कृपाला का सस्वर पाठ किया , राजनारायण श्रीवास्तव ने राम रतन धन पायो गाकर मीरा को याद किया ।
तबले पर विजय देशपांडे और हारमोनियम पर साहिब सिंह जी ने संगत की …श्रोता मंत्र मुग्ध सुनते रहे ।
द्वितीय सत्र का संचालन श्रीमती आशा झा , विजय गुप्ता ने किया ।
नीलम जायसवाल , माला सिंह , आलोक नारंग , सूर्यकांत गुप्ता , नावेद , घनश्याम सोनी आदि सभागार में उपस्थित कवियों ने काव्य पाठ कर तुलसी दास का स्मरण किया ।
शाम कब चुपके से सभागार छोड़कर चली गई किसी को पता ही नहीं चला , रात ने उपस्थिति दी आठ बजे गए थे …कविता सुनने के लोभ का संवरण जरुरी हो गया । आशीर्वाद भवन का सजग सुरक्षा अधिकारी दो तीन बार झांककर मौन आदेश दे चुका था ।
समिति के सचिव बलदाऊ राम साहू ने सस्वर तुलसी वंदना का पाठ कर पारंपरिक ढंग से धन्यवाद ज्ञापन किया । उपाध्यक्ष विजय गुप्ता ने विधिवत आयोजन समापन की घोषणा की ।
समिति की अध्यक्ष होने के नाते मैं आयोजन की सफलता के लिए समस्त सहयोगी जन के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं ।
शुभमस्तु
सरला शर्मा
दुर्ग