उसने मुझे समेटा और कहा,
कोई मेरे बारे में कुछ भी कहे,
तुम मानना वही,
जो तुम्हारा मन स्वीकारे
मैं जो था
वही हूँ
वही रहूँगा!!
कहते कहते;
मेरी पेशानी को
चिन्हित करता,
मुस्कुराता,
मन की गीली मिट्टी में
थोड़ा और धंस गया
या कहूँ,
मुझमे थोड़ा और बस गया
~पल्लवी गर्ग
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तस्वीर साभार Sachin Verma