मॉरीशस की एक खूबसूरत सी याद -मॉरीशस हो तुम
बस, तुम ही तो हो
जो उत्ताल लहरों- सी उछलती
समंदर की श्वेत बालू पर
मेरे बदन से लिपट जाती हो
रेशमी लहर की तरह
तुम ही तो हो
जो उन खूबसरत मूर्तियों के बीच
छिप सी जाती हो एक परछाई की तरह
कि ऊँचे उठते हुए पर्वतों से एक गूँज
दोहराती ही रहती है तुम्हारा नाम
कि घने कोहरे और बादलों के मत्त में डूबी
रेशमी लहर की तरह
तुम ही तो हो
जो चली आती हो मेरी धड़कनों के पास
सूरज और रेत की तरह चमकती
सतरंगी छबि है तुम्हारी
ह्रदय -समंदर से घिरी
दर्पण को रूप-दान देने वाली
ओ मॉरीशस की अनिध्य उर्वशी
बटोही बन तुमने की प्रतीक्षा
प्रतिकार मैं भी करूंगा पथिक बनकर
तुम्हारे अप्रतिम सौंदर्य से आसक्त
तुम्हारी ओर खिचता हुआ चला आता -सा
मैं स्तब्ध हूं मॉरीशस !
( चित्र- maconde point, Mauritius)
डॉ राजेश श्रीवास्तव, भोपाल