November 22, 2024

आज मेरा जन्मदिन है
आज ही मनायेंगे जन्मोत्सव जंगल में
फूलों से सजेगी आपकी वनबाला
ताजा फूल पत्तियों से
सजायेंगे जंगल को
पेड के नीचे थानक है मेरी वनदेवी का
धूप दीप अगर से पूजेंगे
उसके आशीष से महकेगा जीवन
जुगनुओं की टिमटिमाती रोशनी में
जगमगायेगा जंगल
पपीहा, कोयल गायेंगे
मोर थिरकेगा
वनबालाएं नृत्य करेगी
मैं स्वयं लाऊंगी
सबरी की तरह चख कर
तुम्हारे लिए कंदमूल
तुम देखना मेरे स्पर्श से
और भी मीठे हो जायेंगे
जंगल में केवल हम तुम ही नहीं होंगे
आदिपुरुष
वहां होंगे मेरे अपने
जिनके लिए लायेंगे एक हरिण
जिसे वहीं भूनकर खायेंगे।
ताडी और महुए का रस कंठ भिगोयेगा
रात रंगीन होगी
समीप बहता झरना मस्त होकर बहेगा
हम तुम मस्त हो गायेंगे,नाचेंगे
तुम आना आदिपुरुष
हम मनायेंगे जन्मोत्सव
तुम आना!
-डाॅ.रेखा खराड़ी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *