शरद पूर्णिमा पर एक गीत….
आज शरद की रात,
आज अमृत बरसेगा।
अपनी सोलह कला समेटे,
चांद दिखेगा और भी सुंदर।
शुद्ध दूध से खीर बनेगी,
मीठी, शीतल और मनोहर।
तृप्त-भाव से ले परसादी,
हर व्यक्ति का मन हरषेगा।
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा।।
अंतर्मन मीठा हो जाए,
यह जीवन का सार समझना।
हम न रहेंगे तुम ना रहोगे,
रह जाएगा प्यार समझना ।
वही स्मृति में बसता जो,
नेह सभी जन को परसेगा।
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा।।
आंगन उतरेगी चांदनी,
मन को शीतल कर जाएगी।
रोग, शोक सब दूर रहेंगे,
खुशियों से घर भर जाएगी।
कृष्ण और राधा का नर्तन,
आज दोबारा फिर दरसेगा।
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा।।
@ गिरीश पंकज