झुंड में
न अपने पास
पाने के लिए
कुछ है
न खोने के लिए
कुछ है
जो कुछ है खोने
पाने के लिए
आज का दिन है।
न अपना
कल सुनहरा था
न आज ।
कल का क्या
वह भी
संघर्ष वाला रहेगा
उपलब्धि
कुछ भी नही
कल में भी नही।
यह कोई
हताशा भी नही है
न ही कोई आशा
इसमें भीषण भी
कुछ नहीं है
न ही सरल है
पर जो है वह
अच्छा सा ही है
बुरा भी होगा तो
वह मेरा अपना।
चलन से बाहर
यह ठीक तो नही
पर ठीक है
बड़ी- बड़ी मोटी
उपलब्धियों से
ठीक न हो तो भी
एक छोटी सी
मेहनत ही सही
भले वह
फलीभूत न हो
समय ही ऐसा है
जिससे बहुत
अपेक्षा नहीं बनती है।
इसका मतलब
जीत जाना भले न हो
हार जाना तो
बिल्कुल भी नही होता है
खुली हवा खुली सांस
पंछियों के अभिनव झुंड में
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(बुद्धिलाल पाल)