देश राग
डूबती नाव के सवार मिले
ख्वाब लेकर के तार- तार मिले
*
हम उन्हें क्या नसीहतें देते
ऊंघते लोग बार – बार मिले
*
हम कहां आ गए हैं भूले से
कोई चिठ्ठी मिले न तार मिले
*
फैसलाकुन नहीं मिला कोई
फैसला अबके आर- पार मिले
*
जीने देती नहीं है ये दुनिया
काश, मरने का अख्तियार मिले
*
ये बगीचा है ,इस बगीचे में
गुल मिले,रोज हमको खार मिले
*
@ राकेश अचल