November 21, 2024

फ़ैसला दस-पचास में बदला
और इक पेड़ घास में बदला

हर निराशा को आस में बदला
जब अँधेरा उजास में बदला

वो बदलना भला लगा था जब
कोई अच्छे की आस में बदला

मंज़िलें हाथ उस घड़ी आयीं
जब जुनूं भूख-प्यास में बदला

इस बदलने को सबने बोला ‘ख़ास’
आम जब कोई ख़ास में बदला

आदतों ने तो पैर पटके ख़ूब
मन ये फिर भी न दास में बदला

जग बदलने की चाह ने ‘अनमोल’
कितना कुछ आसपास में बदला

– के. पी. अनमोल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *