उजास की वजह
जिसने
माटी से
दीप बनाये
जिसने
कच्ची घानी से
कडु तेल निकाला
जिसने
खेत में पसीना बहाके
उगाया कपास
बाती के लिए
जिसने पिरोए गेंदे के फूल
दीपावली के लिए
जिसने सुबह से शाम की
आंखों में आस लिए
खील बताशे के बदले
खनखनाती खुशी के लिए
हाट बाजार से लौटते हुए
काश
हम भी बनें
उन सबके घर दीप में
उजास की वजह
त्रिलोक महावर