November 24, 2024

मांतगे हे धनहा म धान
बड़ मगन हे किसान
उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान

बबा हा मुसुर मुसुर मुर्रा ल खावय हे
पाके पाके बिही बुढ़ी दाई दबावय हे
नंवा चाऊंर के चिला लहुटावय भौजाई
चटनी संग म झोरत हवय मोर बड़े भाई
फरा लरा जरा सहीं सबके धियान
उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान

रभाचब मांते हवय धान के लुव‌ई हा
नंवा बहुरिया के मुच्च ले मुसक‌ई हा
सिला बिनत ल‌इका कनिहा धर नंच‌ई हा
भारा बांधत बबा के झूल झूल मंच‌ई हा
जिंनगी सुधरगे बंधागे मचांन
उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान

जोंता संग सुमेला घंटी ठीन ठीन बाजत हे
सुंन ब‌इला जोंड़ी मोर टींग टींग नांचत हे
चिक्कन चांदन घर कुरिया देवारी तिहार म
न‌इ अपटे जिंनगी हा चकचक उजियार म
जांगर के मजुरी हमला देही भगवान
उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान

छोल डरिन लिप डरिन बारी अउ बियारा ला
राचर म ओरमाये हवय लोहाटी के तारा ला
अनपुरना दाई हमर गाड़ी चढ़के आवत हे
रदरद ले पोठ दाना सब बर बरसावत हे
आही बसदेवा करही गुनगान
उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान

दौंरी फंदाही बियारा म बिक्कट मजा आही
काठा कलारी सुख सम्मत के मंगल गीत गाही
परबत कस धान के रचा जही जब रास हा
बो‌इर मोंखरा कांटा संग चुपराही राख हा
करपा के किरपा सीरी भगवान
उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान

गिरवर दास मानिकपुरी
रचना काल*14/11/2023–05 बजे बिहनिया

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