चित्रांकन :- डा. सुनीता वर्मा।
झूले में
दीदी-भइया आओ ना
मम्मी-पापा आओ ना
मैं बैठी हूं झूले में
आकर जरा झुलाओ ना
चाची-चाचा आओ ना
दादी-दादा आओ ना
जरा-जरा सा झुलाकर
मेरा भी मन रख जाओ ना
झूले में बैठे-बैठे
पुस्तक-कापी पकड़े-पकड़े
होमवर्क सब कर लूंगी
बिना किए अखरे-नखरे
कमलेश चंद्राकर