November 21, 2024

पुस्तक समीक्षा : सफलता के पायदान

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लेखिका : शुचिता श्रीवास्तव
समीक्षक : डॉ किशोर अग्रवाल
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जिंदगी में आगे बढ़ने के लिये दृढ़ निश्चय व परिश्रम सभी करते हैं,पर यदि साथ में कोई प्रेरणा भी मिल जाए तो अपने उद्देश्यों को पाने में आसानी होती है । प्रेरणादायी पुस्तकें अनेक लोगों ने लिखी हैं परन्तु केवल अनुमानों के आधार पर किसी बात को लिखना और केवल सैद्धांतिक बातों को ही उल्लेखित करने से ही यह बात नही बनती। सही मार्गदर्शन के लिये कुछ ऐसा दृष्टांत जरूरी है जिसमें वास्तविकता का आभास मिले ।
अगर जीवन में कुछ पाना है तो सार्थक प्रयास करने होंगे। कोई उद्देश्य निर्मित करना होगा। प्रसिद्धी , पैसा , मान सम्मान और सुख सुविधाएं जुटाने के अभिलाषी व्यक्ति को प्रयत्न करना ही होगा मात्र विचार ही परिणाम नही देता।
यह किताब इसी बात को ध्यान में रखकर लिखी गई है । व्यक्ति का मूल्यांकन ,उसकी जरूरत और उसके ध्यान को आकर्षित करने के लिए अध्ययन के जो शीर्षक बनाए गए हैं वे पर्याप्त हैं । इस किताब के 11 अध्याय हैं जिनमें आत्म मूल्यांकन और अपने लिए प्रश्न निर्धारण के साथ-साथ अपने जीवन के उद्देश्यों के विषय में भी अनुसंधान करने की बात कही गई है । आत्म अनुसंधान के बाद आपमें अपने उद्देश्य को प्राप्त करने की कितनी समग्रता व निश्चय की सत्यता है इस पर भी बात की गई है ।
यह किताब कहती है कि जीवन में सपने देखें ,अपने लक्ष्य बनाकर उन पर विचार करें और हमेशा सकारात्मक सोच रखें । दृढ़ इच्छाशक्ति ,आत्मविश्वास और उचित आदतों के साथ-साथ टाइम मैनेजमेंट करने की स्थिति में आप कभी ना रुकें, हमेशा कर्मवादी बनें और अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलें तथा नकारात्मक लोगों से दूर रहें । इस तरह आप अगर अभ्यास करेंगे , कठिन परिश्रम करेंगे तो निश्चित ही आपकी स्थितियां बदलेंगी, आपको जो पाना है उसओर आपके कदम अपने आप ही बढ़ चलेंगे और आप अपने लक्ष्य को आसानी से पा सकोगे ।
सुचिता श्रीवास्तव ना केवल साहित्यिक अभिरुचि की महिला हैं बल्कि उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में संपादन का कार्य भी किया है। वह दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर चुकी हैं और 3 वर्षों तक दैनिक जागरण समाचार पत्र में संपादन का महत्वपूर्ण कार्य भी उन्होंने किया है ।लेखिका का अपना जीवन ही एक मिसाल है। उन्होंने न केवल लेखन के क्षेत्र में प्रगति की है बल्कि उन्होंने अपना उद्योग भी स्थापित किया है । उन्होंने लखनऊ में डिजाइनर गारमेंट की फैक्ट्री लगाई और खादी में डिजाइनर गारमेंट की शुरुआत की। देश में कई खादी संस्थाओं की वह कंसलटेंट रह चुकी हैं और उनके साथ काम किया है । वह मोटिवेशनल लेक्चर भी देती हैं और यह उनकी ना केवल हॉबी है बल्कि समाज के प्रगति आकांक्षी व्यक्तियों को मार्गदर्शन देकर उनको आगे बढ़ाने में भी सहायक रही हैं। वे स्वयं में ही प्रेरणा की एक मिसाल हैं , प्रेरणादायी हैं । उनके जीवन से प्रेरणा लेकर भी कोई व्यक्ति आगे बढ़ सकता है । अतः जब ऐसा कोई व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर कोई बात लिखता है तो वह केवल सैद्धांतिक नहीं होता बल्कि उसे अनुभव आधारित मानकर वास्तविक प्रेरणा ग्रहण की जा सकती है । लेखिका स्वयं ही एक संघर्षरत महिला रही है और उनका लेखन अनुभव से जुड़ा हुआ है। अतः इस विषय पर उनकी अधिकारिता स्थापित होती है । आज सफलता की जिस सीढ़ी पर शुचिताजी खड़ी हैं वह निश्चित ही दूसरों के लिए प्रेरणादायी है । उनकी यह किताब निश्चित ही आपको अपने उद्देश्यों को पाने में मदद करेगी ऐसा मुझे विश्वास है। शुचिताजी को इस किताब लेखन के द्वारा प्रेरणा प्रसारित करने के लिए मैं हार्दिक बधाई देता हूं ।
डॉ किशोर अग्रवाल आईपीएस,
रायपुर, छत्तीसगढ़

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