मान बढ़ा भी सकते हैं हम …
मान बढ़ा भी सकते हैं हम मान घटा भी सकते हैं,,
आंच पड़ी स्वाभिमान पे तो तलवार चला भी सकते हैं।।
ये जो कोमल हाथ मेरे बस कलम चलाना ना जाने,,
ये अपने पर आये तो हथियार उठा भी सकते हैं।।
मर्यादा में तुम रहे अगर तो हद में हम रह पायेंगे,,
जरा किये दुस्साहस तो हम धूल चटा भी सकते हैं।।
जननी हैं जीवन देते हैं, तो जीवन भी ले सकते हैं,,
वक्त अगर आ जाये तो हम शीश उड़ा भी सकते हैं।।
नारी हैं कमजोर नहीं हम अडीग खड़े रह जायेंगे,,
बात अगर आ जाये तो हम जान लुटा भी सकते।।
✍️ रिचा श्रीवास्तव
अयोध्या उत्तर प्रदेश