शरद ऋतु…..!
है शरद ऋतु का आगमन ,
फूलों की छटा है मनभावन।।
नर्म धूप तन-मन को भाये,
जैसे हो कोई अपनापन।।
उषा की स्वर्णिम किरणें जब,
बिखरी नर्म-नर्म पत्तों पर।।
ओस बूंद निखरीं ऐसे कि,
कलियां मुस्काई खिलकर।।
है शरद ऋतु का ….!
बहे मंद-मंद शीतल बयार।
बिछ गया धरा पर हरसिंगार।।
प्रकृति की अनुपम तरुणाई ,
अपलक सुंदरता रही निहार।।
है शरद ऋतु का…!
माधवी उपाध्याय
जमशेदपुर, झारखंड